मुख्य वन संरक्षक नहीं मानते अपर मुख्य सचिव का आदेश!
स्थानान्तरित कार्मिकों को समय से रिलीव न करने का प्रकरण
By Harshit
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लखनऊ। वन विभाग में बगैर सक्षम स्तर से अनुमोदन से करीबन वन अधिकारियों के तबादले के बाद बवाल मचा तो आनन-फानन में तबादले निरस्त किए गए। जांच के बाद प्रशासनिक अधिकारी आशीष पाण्डेय, रामनरेश यादव और वाहन चालक बसंत ओझा के ट्रांसफर का आदेश जारी हुए। पर उनका अभी तक अनुपालन नहीं हो सका है। यह स्थिति तब है, जब शासन की तरफ से प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा को कार्रवाई के लिए लगातार पत्र लिखा जा रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि जो कार्मिक स्थानान्तरण आदेशों का पालन न करते हुए आरोपी कार्मिकों को रिलीव नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जायेगी।
अपर मुख्य सचिव के आदेश का पालन न होने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि फिर आखिर किसके इशारे पर वन विभाग में फाइलें दौड़ती हैं। अपर मुख्य सचिव वन मनोज सिंह ने 31 अक्टूबर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर कहा था कि संदिग्ध सत्यनिष्ठा वाले कार्मिकों की तैनाती संवेदनशील पदों पर नहीं किए जाने का प्रावधान है। स्थानान्तरित कार्मिकों को समय से रिलीव न करना अनुशासनहीनता मानी जाएगी, जो भी संबंधित कार्मिकों को कार्यमुक्त नहीं करेंगे। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
अपर मुख्य सचिव को यह पत्र लिखे एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। पर अभी तक शासन के आदेशों का अनुपालन नहीं हुआ है। जबकि अपर मुख्य सचिव ने पत्र के जरिए दो दिन के अंदर संबंधित कार्मिकों का रिलीविंग आर्डर भी तलब किया था। पर उनका यह आदेश कागजी बन कर रह गया है। उसके बाद अब वन महकमे के अंदरखाने चर्चा चल रही है कि यदि वन विभाग के मुखिया का आदेश भी मुख्य वन संरक्षक नहीं मान रहे हैं तो फिर किसके इशारे पर महकमे की फाइलें दौड़ती हैं। यह विवेचना का विषय हो सकता है।
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