चंपाई सोरेन को 10 दिनों में साबित करना होगा बहुमत

चंपाई सोरेन को 10 दिनों में साबित करना होगा बहुमत

रांची। झारखंड के सियासी घटनाक्रम के बीच बड़ी खबर सामने आई है। चंपई सोरेन गुरुवार रात राजभवन पहुंचे। कहा जा रहा है कि उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया है। चंपई सोरेन को विधायक दल ने अपना नेता चुना है। वह झारखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। वे शुक्रवार को ही सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

दिनभर रही सियासी हलचल
इससे पहले झारखंड में दिनभर सियासी हलचल तेज रही। जहां एक ओर कोर्ट ने हेमंत सोरेन को कोर्ट ने एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया तो वहीं दूसरी ओर झारखंड के विधायक बहुमत साबित करने में जुटे रहे। हालांकि विधायकों के टूट के खतरे को देखते हुए जेएमएम ने विधायकों को फ्लाइट से दूसरे राज्य भेजने की व्यवस्था की, लेकिन कोहरे के कारण यह उड़ान नहीं भर सकी।

बता दें कि झारखंड में बहुमत का आंकड़ा 41 है। यहां विधानसभा में 81 सीटें हैं। दोपहर को महागठबंधन के 43 विधायकों ने अपनी गिनती पूरी की थी। इसका एक वीडियो भी सामने आया था। जहां चंपई सोरेन समेत गठबंधन के 43 विधायक नजर आ रहे थे। हालांकि बीजेपी ने जेएमएम पर बहुमत न होने का आरोप लगाया था। कहा जा रहा है कि पूरे मामले को लेकर बीजेपी आलाकमान भी एक्टिव है।

10 दिनों में बहुमत साबित करने का वक्त
इससे पहले ही चंपई सोरेन ने राज्यपाल को बहुमत साबित करने का पत्र भेज दिया था, लेकिन कहा जा रहा था कि उन्हें शुक्रवार तक का समय दिया गया है। हालांकि देर शाम राजभवन से उनके पास बुलावा चला गया। अब उन्हें अगले 10 दिनों में बहुमत साबित करने का वक्त मिला है।

क्या है विधानसभा का गणित?
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 29 और कांग्रेस ने 17 सीटें हासिल की थीं। इस तरह इन दो पार्टियों के पास ही 46 का आंकड़ा मौजूद है, लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि कुछ विधायक नाराज चल रहे हैं। ऐसे में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए गठबंधन कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

विधानसभा में सीपीआई-एमएल के एक और आरजेडी के एक विधायक हैं। जबकि बीजेपी के साथ विपक्ष के विधायकों की संख्या 32 है। इसमें भाजपा के 26 MLA हैं। इसके अलावा आजसू पार्टी (AJSU) के तीन, अन्य के दो और एनसीपी (A) के एक विधायक हैं। हालांकि बीजेपी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचना काफी मुश्किल होगा। कहा जा सकता है कि झारखंड के लिए शुक्रवार का दिन काफी महत्वपूर्ण होगा।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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