हाल— ए— बिहार: अस्पताल में स्ट्रेचर तक नहीं कुर्सी पर घसीटे जाते मरीज
गया : न जानें कितनी तस्वीर बिहार से उभरकर सामने आती है. हमारे राजनेता बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं, पर जब ऐसी तस्वीर आती है तो कहते हैं, मामले पर संज्ञान लिया जाएगा. पर सोचिए इस 2024 में भी अगर बिहार के बड़े अस्पतालों में स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं हो, वहां आप क्या उम्मीद कर सकते हैं. शर्मनाक शब्द भी छोटा पड़ जाता है.
गया में स्थित मगध के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में इन दिनों मरीजों की दुर्दशा देखने को मिल रही है. यहां मरीज को स्ट्रेचर से नहीं, बल्कि कुर्सी के सहारे इलाज के लिए वार्ड में ले जाया जाता है. कहते हैं कैमरा का लेंस कभी झूठ नहीं बोलता, उसी कैमरे में ऐसी तस्वीर कैद हुई. मरीज को स्ट्रेचर की बजाय कुर्सी पर लिटाकर इमरजेंसी वार्ड तक ले जाया जा रहा है.
स्ट्रेचर नहीं है, कुर्सी में धक्का मार
वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक मरीज को एंबुलेंस से लाया जाता है. एंबुलेंस से लाए मरीज को वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रेचर की मांग की जाती है, लेकिन स्ट्रेचर मुहैया नहीं कराया जाता. इसके बीच वहां पर जो लोग मौजूद होते हैं, वे बैठने वाली कुर्सी को ही स्ट्रेचर बना देते हैं और उस पर मरीज को लिटाकर धक्का देते हुए इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचाते हैं.
यह एक बड़ी लापरवाही
एक तरफ सरकार सुशासन का दावा करती है, तो दूसरी ओर मरीज के लिए स्ट्रेचर तक मुहैया नहीं कराती है. मरीजों को कुर्सी पर सुलाकर इमरजेंसी वार्ड तक ले जाया जा रहा है. उनका इलाज कैसे होता होगा, यह समझा जा सकता है. वरीय पदाधिकारी को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचकर निरीक्षण करना चाहिए और इस तरह की स्थिति भविष्य में ना हो, इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.''- विनय यादव, राजद विधायक, गुरुआ
अस्पताल की व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह
यहां यह बताना भी जरूरी है कि, गया के इस मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिहार के 5 जिलों गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा के अलावे पड़ोसी राज्य झारखंड से भी मरीज लाए जाते हैं. ऐसे में इस बड़े सरकारी अस्पताल की व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं. वहीं इस संबंध में मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक से बात करने की कोशिश की गई, तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ था.
अस्पताल प्रशासन पर उठते सवाल
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल से इस तरह का वीडियो सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठने खड़े हो गए हैं. आखिर मरीजों को स्ट्रेचर क्यों नहीं मुहैया कराया जा रहा है. क्या अस्पताल की हालत ऐसी हो गई है कि यहां स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं है. अगर ऐसा है तो वाकई में काफी चिता का विषय है.
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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