सड़को को रौद रहे ओवरलोड वाहन जिम्मेदार बेखबर

सड़को को रौद रहे ओवरलोड वाहन जिम्मेदार बेखबर

कानपुर व आस पास के जिलों से भारी तादात में मौरंग गिट्टी लदे ओवरलोड वाहन करते है जिले की सीमा में प्रवेश, मचाते है जमकर धमाचौकड़ी

उन्नाव। जिले में ओवरलोडिंग की समस्या अपने पूरे पैर पसार चुकी है। संबन्धित विभाग वैसे तो कई बार अभियान भी चलाता है लेकिन ओवरलोड वाहनों पर इस तरह की कार्यवाही भी बेअसर है। उपसंभागीय परिवहन कार्यालय ओवरलोडिंग पर अंकुश लगा पाने में अब तक अक्षम साबित हुआ है। प्रशासन की नाक के नीचे बेखौफ होकर सैकडो ओवरलोड वाहन अपनी दूरी सुरक्षित तय कर रहे है। रात के 8 बजते ही ओवरलोड वाहनों की धमाचौकडी बढ जाती हैै। इसके बाद भोरपहर तक यह बेखौफ होकर इंट्री माफियाओं के भरोसे अपने ओवरलोड वाहनों को सीमा से पार कराते है।
 
विभाग इन पर रोक लगा पाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। जानकारों की माने तो वाहन मालिक इंट्री का पैसा दलालों के माध्यम से पहुंचाते हैै। इंट्री माफिया इन वाहनों को निकालने में अपनी अहम भूमिका निभाते है। इंट्री के अलावा लोकेशन के लोग भी इन ट्रकों से नियमित तौर पर कुछ न कुछ सुविधा लेते रहते है। वहीं टोल बचाने के चक्कर में कई वाहन हाइवे से अजगैन होकर मोहान से गुजरते है। राजस्व के साथ ही हजारों रुपए टोल टैक्स का भी नुकसान होता है। लेकिन इसके लिए सजग रहने वाला विभाग सरकारी राजस्व की बढोत्तरी कराने के मामले में फिसड्डी साबित होता है।
 
इंट्री माफिया इंट्री फीस वसूल कर जारी कर देते है कोड-
समझने वाली बात है कि कोड की भनक अन्य किसी को नही लगती। इंट्री माफिया के गुर्गो द्वारा ओवरलोड वाहन गुजारने की सुविधा फीस वसूलकर मोटर संचालकों को एक कोड जारी कर देते है। इसके बाद वाहन संचालक को महज इतना करना होता है कि यह कोड अपने वाहन पर एक चिंहित स्थान पर अंकित करवाना होता है। इस आधार पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपरोक्त वाहन इंट्री मे शामिल है। बीते दिनों इंट्री माफिया के गुर्गे व ट्रांसपोर्टर के बीच की बात का जिक्र करें तो उसके उन्नाव जिले की इंट्री फीस 6000 रुपए प्रति वाहन निर्धारण की बात सामने आयी थी।
 
इतना ही नही किसी गदनखेडा के रहने वाले शाहिद नामक व्यक्ति के इस खेल में मुख्य खिलाडी की बात सामने आयी थी। जिसमें उसका शामिल गुर्गा यह कहते हुए सुना गया था कि शाहिद भाई द्वारा कई जिलों की इंट्री का काम कराया जाता है। जिसमें उनको ही इंट्री फीस क्रमशः उन्नाव की 6000 रुपए व कानपुर की 9000 रुपए दिए जाने की बात कही गयी। उपरोक्त व्यक्ति ने ट्रांसपोर्टर को यह सलाह भी दी कि जिस जिस जिले से आपका वाहन गुजरना है वही की इंट्री कराईये नही तो इस लाइन में फेल हो जाएंगे।
 
इंट्री माफिया कोड से करते है ओवरलोड वाहनों का संचालन
जैसे जैसे नियमों की कडाई का क्रम बढता गया वैसे वैसे कोड का सिलसिला भी परिर्वतनशील होता गया। जानकारों की माने तो इंट्री माफिया कुछ समय के लिए ही कोड को जारी करते है। इसके बाद समय समय पर कोड का परिर्वतन कर दिया जाता है। इसकी जानकारी इनके आका अपने गुर्गो के माध्यम से सभी तक पहुंचाने का कार्य करते है। इस अवैध कार्य में भी एक लंबी मशीनरी काम करती है लेकिन संबन्धित विभाग न जाने क्यों अनजान बना रहता है। पूर्व की बात करें तो इन कोड के क्रम में बीआरएल, एम्बुलेंस, उडता पंक्षी सहित तमाम हेल्पलाइन नंबर सहित आसान कोड का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी पकड भी न हो और आसानी से याद कर लिया जाए।
 
अलग अलग जगह से संचालित करते है लोकेशन आफिस-
यू तो जिले में ओवरलोड वाहन प्रायः नही गुजरते है ऐसा एआरटीओ के अधिकारियों का कहना है। लेकिन लोकेशन देने वाले गुर्गे बाकायदा आफिस बनाएं हुए है। अलग अलग जगहों से इनके लोकेशन आफिस संचालित होते है। जिसके प्रमुखतः लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित गदनखेडा, जी स्कूल, आजादमार्ग चौराहा, बदरका, जाजमऊ, हसनगंज, सोहरामऊ, चकलवंशी, रसूलाबाद आदि स्थान शामिल है।
 
सडको से लेकर राजस्व की हानि पहुंचाते है ओवरलोड वाहन-
विभिन्न जिलों से आने वाले ओवरलोड वाहन कही न कही राजस्व का भारी नुकसान करते है। प्रमुखतः जिले की मोहान, अजगैन, बांगरमऊ सहित भगवंतनगर की सडके बनती तो है लेकिन जल्दी ही जर्जर हो जाती है। फिर कई साल यहां से गुजरने वाले लोगो को मुसीबतें उठानी पडती है। ओवरलोड वाहनों में आने वाले मटीरियल की बिक्री को लेकर बिचौलिये भी सक्रिय रहते है। माना जाता है कि ओवरलोड वाहन के आने के चलते इमानदारी से काम करने वाले ट्रांसपोर्टर को घाटा उठाना पडता है। जिससे धीरे धीरे यह लोग बंदी की कगार पर पहुंच जाते है। वही संबन्धित विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की लापरवाही के चलते अवैध काम में सलिप्त लोग मोटा मुनाफा कमाते है। 
 
लोडिंग मानक इस प्रकार है 
वाहन                       मानक/टन                          
10 चक्का                    28
12 चक्का                    35
14 चक्का                     42 
16 चक्का                  47.500
18 चक्का                   55
22 चक्का।                 55.500
 
क्या बोले एआरटीओ प्रवर्तन?
इस संबन्ध में जब एआरटीओ प्रवर्तन अरविंद सिंह से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि जो भी ओवरलोड गाड़ियां मिल रही है उन पर कार्यवाही की जा रही है।
 
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