निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का सुल्तानपुर आना भाजपा के लिए शुभ संकेत

मेनका गांधी की सर्वसुलभता वाली छवि ने निषाद जाति में बनाई बढ़त

निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का सुल्तानपुर आना भाजपा के लिए शुभ संकेत

चिलचिलाती धूप में खड़े मछुआ समाज के लोगों ने संजय निषाद के आह्वान पर हाथ उठाकर मेनका गांधी को जीताने का लिया संकल्प

सुल्तानपुर। विचारधारा हीट अपने चरम पर है जिसमें मेनकागांधी के सभी दल शामिल हैं और तूफानी चुनाव प्रचार ने भाजपा को सबसे आगे खड़ा कर दिया है। भाजपा साहुति मेनका ने संजय गांधी के समर्थन में बौनाडीह में आयोजित अभ्यारण्य में हजारों की संख्या में मछुआ समाज की महिलाओं और पुरुषों ने कड़कती धूप में भाग लिया।
            निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने निषाद समुदाय के लिए आंदोलन करने के लिए बहुत काम किया है। बेटियों की सुरक्षा और निषादों की समृद्धि के लिए कई सूत्र बताए गए हैं, जिनका सीधा लाभ महिला पुरुषों को मिल रहा है। अब निषाद समाज को आपकी पराकाष्ठा की पहचान हो गई है। पहले की तरह इस बार भी उम्मीदवार को वोट की जगह चोट। 
          संजय नैशाध ने सुना ऐ मछुआ समाज की भीड़ को देख कर अन्य ऑर्केस्ट्रा में मच गया। सपा ने जिस निषादों के जाति कार्ड के खिलाड़ी सुल्तानपुर की सीट पर पहली बार कब्ज़ा किया था, वह आज दूर दिखाई दी है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने मेनका गांधी के नामांकन में कहा था कि *सत्तर प्रतिशत हमारे शेष में बंटवारा* इस बात को सुनने के बाद भीड़ ने अपने गठबंधन को सही साबित कर दिया।  
          भाजपा और निषाद पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता निषाद पार्टी में जनता को तर्क के द्वारा समझाया जा रहा है कि मछुआ समाज का हित केवल भाजपा ही सुरक्षित है। इसी से आपके समाज का भला हो सकता है। भाजपा के अलावा अन्य सभी सनातनियों ने मछुआ समाज का शोषण किया है। चुनाव आया तो जातिवाद की दुहाई दी गयी लेकिन चुनाव के बाद कोई दिखाई नहीं दिया। 
               60 साल के बुजुर्ग ने संजय की रैली में कहा कि हमारी पार्टी निषाद पार्टी है और हमारे नेता संजय निषाद के बारे में मैं सुन रहा हूं। सपा किसी की नहीं हो सकती जब भीम नॉमा को टिकट देने के कुछ दिन बाद टिकट कट सकते हैं तो इस पार्टी पर और क्या विश्वास किया जाए। 
                   इसी तरह देखने पर एक बात साफ हो रही है कि मेनका गांधी ने अपनी मजबूत जॉइंट कंपनी और सभी समर्थकों के प्रेम और सामंजस्य के कारण अपनी जीत के अंतर को काफी बढ़ाया है। तो दूसरी तरफ सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए सभापति रामभुवाल निषाद का नया नवेलापन और उदय राज वर्मा की अनुभवहीनता ने मेनका गांधी को जीत का मौका दिया है। *क्या अब सपा में द्वितीय और तृतीय स्थान के लिए लड़ रहे हैं?*
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