हाई कोर्ट ने गिरिडीह के बर्खास्त मेयर सुनील पासवान के मामले में फैसला सुरक्षित रखा
रांची। झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को गिरिडीह के बर्खास्त मेयर सुनील कुमार पासवान की ओर से उनके जाति प्रमाण पत्र काे गलत बताते हुए रद्द करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई हुई। मामले में मेंटिबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) पर सुनवाई पूरी हो गई। इसके बाद कोर्ट ने मेंटिबिलिटी पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पैरवी की।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि इनके पिता वर्ष 1982- 83 में सरकारी सेवा पर रहते हुए सचिव, व्यापार मंडल गिरिडीह के पद पर थे। याचिकाकर्ता की शिक्षा दीक्षा एवं लालन पालन गिरिडीह में ही हुआ है।इस दौरान गिरिडीह के सक्षम प्राधिकार द्वारा इनका जाति प्रमाण पत्र भी निर्गत किया गया था। इन्होंने मुखिया का चुनाव सहित कुछ अन्य जनप्रतिनिधि का इलेक्शन लड़ा था लेकिन उनके जाति प्रमाण पत्र पर सवाल नहीं उठाया गया था। मेयर का चुनाव लड़ने के बाद इनके जाति प्रमाण पत्र सवाल उठाया गया। एकीकृत बिहार के समय से गिरिडीह में ही थे। इसलिए अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र पर उनके द्वारा मेयर का चुनाव लड़ने का आरोप गलत है। उन्हें मेयर पद के अयोग्य घोषित किया जाना गलत निर्णय था।
एकल पीठ ने इस संबंध में याचिकाकर्ता सुनील कुमार पासवान की रिट याचिका को खारिज कर दिया था।इसके बाद उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी एसएलपी खारिज कर दी थी। इसके बाद उनकी ओर से खंडपीठ में अपील दायर की गई है। अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र पर चुनाव लड़ने का आरोप सही पाए जाने के बाद सुनील पासवान को मेयर पद के अयोग्य घोषित किया गया था।
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