राष्ट्रीय ध्वज हमारे राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है, इसके सम्मान में जारी हुए दिशा निर्देश
फिरोजाबाद, भारतीय झंडा संहिता, 2002, 2021 एवं 2022 में यथासंशोधित, तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 में अंतर्विष्ट नियमो के कड़ाई से पालन के सम्बन्ध में
भारतीय झंडा संहिता, 2002 में निहित मुख्य दिशा-निर्देश
1. भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगो की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। और सबके मन में राष्ट्रीय ध्वज के लिए प्रेम, आदर ओर निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है।
2. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण/प्रयोग/संप्रदर्शन राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित है। भारतीय झंडा संहिता, 2002 में निहित कुछ मुख्य दिशा-निर्देश जनता की जानकारी के लिए नीचे सूचीबद्ध हैं-
(क). भारतीय झंडा संहिता, 2002 को 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया और पॉलिएस्टर के कपडे से बने एवं मशीन द्वारा निर्मित राष्ट्रीय ध्वज की अनुमति दी गई। अब व्यवस्था है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गये और हाथ से बुने हुए या मशीन द्वारा निर्मित, सूती/पॉलिएस्टर/ऊनी/सिल्क खादी के कपडे से बनाया गया हो।
(ख) जनता का कोई भी व्यक्ति, कोई भी गैर-सरकारी संगठन अथवा कोई भी शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों और अवसरों, औपचारिकताओ या अन्य अवसरों पर फहरा/प्रदर्शित कर सकता है, बशर्ते राष्ट्रीय झंड़े की मर्यादा और सम्मान का ध्यान रखा जाये।
(ग) भारतीय झंड़ा संहिता, 2002 को 20 जुलाई, 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया एवं भारतीय झंडा संहिता के भाग-॥ के पैरा 2.2 की धारा (गपप) को निम्नलिखित धारा से प्रतिस्थापित किया गया-
जहाँ झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है, या जनता के किसी व्यक्ति द्वारा घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां उसे दिन एवं रात में फहराया जा सकता है।
घ) राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होगा। यह किसी भी आकार का हो सकता है, परन्तु झंडे की लम्बाई ओर ऊंचाई (चैडाई) का अनुपात 3ः2 होगा।
ड) जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाये तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए।
च) फटा हुआ और मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाये।
छ) झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडो के साथ एक ही ध्वज-दंड से नहीं फहराया जाये।
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मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है। कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है ,और इसलिए, इसे सम्मान की स्थिति मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव और आदर तथा वफादारी होती है। तथापि, राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, प्रथाओं तथा परंपराओं के संबंध में जनता के साथ-साथ भारत सरकार के संगठनोंध्एजेंसियों में भी जागरूकता का अभाव देखा गया है। राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 तथा भारतीय झंडा संहिता, 2002 ख्2021 एवं 2022 में यथासंशोधित), जो. राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग/ध्वजारोहण/संप्रदर्शन को नियंत्रित करते हैं। प्रति इस मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर भी उपलब्ध हैं। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 की मुख्य दिशा-निर्देश संलग्न हैं।
2. भारतीय झंडा संहिता के भाग-॥ के पैरा 2.2 की धारा (x) के के बने राष्ट्रीय झंडो को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक कृतिक और और खेलकूद के अवसर पर हाथ में लेकर हिला जा सकता है। आपसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा प्रयोग किये हुए कागज के बने राष्ट्रीय झंडो को समारोह के पूरा होने के पश्चात न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए।
3. आपसे यह अनुरोध है, कि कृपया इस संबंध में वृहद जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये जाएं तथा इलैक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों के माध्यम से वृहद प्रचार किया जाये।
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