तालाबों,पोखरों और नदी में खड़े होकर छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार को जिले में बहने वाली परमान,बकरा, रतुआ नदी सहित विभिन्न तालाबों, पोखरों और नहर में खड़े होकर छतव्रतियो ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया।सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत की समाप्ति होगी।जिसके बाद छठ के प्रसाद के साथ छ्ठव्रती पारण करेंगे।
छठ को लेकर जिला प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए।साफ सफाई के साथ घाटों पर रोशनी की व्यवस्था की गई।वहीं नगर परिषद प्रशासन की ओर से छठ को लेकर विशेष सफाई के तहत पूरे शहर में सफाई की गई।शहर के सड़क के दोनों ओर चूना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया।
शहर में रोशनी की व्यवस्था की गई।जिससे अहले सुबह छठव्रतियों को घाट पर जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो।घाट पर जिला प्रशासन की ओर से छठव्रतियों के वस्त्र बदलने के लिए चेंजिंग रूम,भीड़ पर नियंत्रण के लिए वॉच टावर का निर्माण के साथ घाटों पर गहरे पानी को लेकर बांस की बेरेकेडिंग की गई।इसके अलावे किसी तरह की अनहोनी घटना से निबटने के लिए घाटों पर एसडीआरएफ के जवानों के अलावे गोताखोर की तैनाती रही।
प्रकृति को समर्पित इस महापर्व में छठव्रतियों ने पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर की अराधना की और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। छ्ठव्रती कच्चे बांस के बने सूप में नारियल, डाब नींबू,फल- फूल सहित अन्य प्रकृति से प्रदत समानों के साथ डुबकी लगाते हुए सुख शांति और समृद्धि को छठी मैया से कामना की।वहीं विभिन्न घाटों पर पूजा समिति की ओर से स्थापित भगवान भास्कर की प्रतिमा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।
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