
कभी किराया देने के लिए पास नहीं थे पैसे
By Tarunmitra
On
जज बनी: गुलफाम घर की आर्थिक हालात बताते हुए कहती हैं हमारा पूरा घर 1 कमरे का है. हम सभी इसी एक छोटे से घर में रहते हैं. इसी कमरे में रहते हैं, यहीं पे खाना खाते हैं, इसी कमरे में, सभी की मौजूदगी में मैंने पढ़ाई भी की. वह पंजाब सिविल सर्विस ज्यूडिशियल परीक्षा पास कर के जज बनी हैं. गुलफाम के पिता तालिब हुसैन पेश से टेंपो चालक हैं.हर पेशे में कामयाब तो बहुत से लोग होते हैं. लेकिन दुनियाभर में कहानियां सिर्फ कुछ पर ही लिखी जाती है. ऐसा इसीलिए क्योंकि उनका सफर बाकियों की तुलना में ज्यादा लंबा और मुश्किल होता है. कामयाबी की मंजिल पर खड़े वे तमाम लोग पहुंचे तो एक पायदान पर होते हैं, लेकिन जिनकी कहानियां लिखी जाती हैं, उनका सफर अलग होता है. आज की कहानी में आप मिलेंगे पंजाब के मलेरकोटला की रहने वाली गुलफाम सैयद से. वह पंजाब सिविल सर्विस ज्यूडिशियल परीक्षा पास कर के जज बनी हैं. गुलफाम के पिता तालिब हुसैन पेश से टेंपो चालक हैं.गुलफाम ने अपने घर परिवार में आर्थिक तंगी बचपन से ही देखी. उनकी 12वीं तक पढ़ाई अपने शहर मलेरकोटला के इस्लामिया गर्ल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई. इसके बाद ग्रेजुशन भी इस्लामिया गर्ल कॉलेज मलेरकोटला से ही की. ग्रेजुएशन के बाद LLB की पढ़ाई पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से की.मीडिया से अपनी परेशानियां शेयर करते हुए बताया कि पेपर देने के लिए पटियाला जाने पर 150 रुपए खर्चा आता था, लेकिन पिता के लिए इस मामूली रकम को जुटाना भी बड़ी बात थी. कई दफे ऐसा हुआ जब पेपर देने जाने का वक्त आया तो उनकी जेब में 150 रुपए भी नहीं होते थे. पापा मुझे तो पैसे दे दिया करते थे, लेकिन उनका पर्स अक्सर खाली रह जाता था. वह हमेशा कहते थे कोई बात नहीं तू ले जा और दिल से पढ़ना. कामयाब होना. हम अपने लिए इंतजाम कर लेंगे.परिवार और पिता ने अपनी हैसियत से बढ़कर गुलफाम को पढ़ाया, और बेटी ने कामयाबी होकर सभी की मेहनत का मान रखा और फल भी पाया. गुलफाम घर की आर्थिक हालात बताते हुए कहती हैं हमारा पूरा घर 1 कमरे का है. हम सभी इसी एक छोटे से घर में रहते हैं. यहीं पर रहते हैं, यहीं पे खाना खाते हैं, इसी कमरे में मैंने पढ़ाई की. लेकिन परिवार ने मुझे पढ़ाने के लिए खामोश रहकर भी दिन बिताया, जब मैं कमरे में पढ़ाई कर रही होती तो कोई बात नहीं करता न ही मुझे किसी भी तरह से डिस्टर्ब करते थे.
Tags:
About The Author

‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
Related Posts

Latest News

30 Nov 2023 23:51:23
खूंटी। भाजपा के जिला कार्यालय में गुरुवार को खूंटी और सिमडेगा जिला पंचायत समिति सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का...