बिहारियों के दुश्मन है विशेष राज्य के दर्जे का विरोध करने वाले नेता: राजीव रंजन 

विशेष राज्य के मुद्दे पर जदयू राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने किया भाजपा पर पलटवार, पूछे कई सवाल 
 
पटना: भाजपा पर पलटवार करते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि नीतीश कुमार के विरोध में भाजपा के नेता अब बिहारियों के विरोध में उतर आये हैं. इसीलिए यह लोग अब सदन तक में बिहार को किसी भी कीमत पर विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने की गुहार लगाने लगे हैं. यह दिखाता है कि आम बिहारियों का इनसे बड़ा दुश्मन कोई और नहीं. 
          
उन्होंने कहा कि इनके एक बड़े नेता कल राज्यसभा में वित् आयोग के तथाकथित नियमों के पीछे छिप कर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने की वकालत कर रहे थे. उन्हें बताना चाहिए कि जो केंद्र सरकार 370 जैसे कानून को हटा सकती है, वह बिहारियों के विकास के लिए क्या वित् आयोग के प्रावधानों में फेरबदल क्यों नहीं कर सकती?  वह बताएं कि खुद बिहारी होकर वह बिहारियों का हक क्यों मारना चाह रहे हैं? 
 
सवालों की झड़ी लगाते हुए जदयू महासचिव ने कहा कि भाजपा नेता को बताना चाहिए कि क्या विशेष राज्य का दर्जा देने के मापदंडों में राज्य की सीमा के पड़ोसी देश से लगने, उनके आर्थिक रूप से पिछड़े होने, तथा कमज़ोर इन्फ्रास्ट्रक्चर होने की बात नहीं कही गयी है. वह बताएं कि क्या बिहार इन तीनो मापदन्डों को पूरा नहीं करता? क्या केंद्र सरकार की नीति आयोग ने बिहार को सर्वाधिक पिछड़े राज्यों की श्रेणी में नहीं रखा हुआ है? उन्हें बताना चाहिए कि क्या केवल विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने कारण ही सिक्किम, त्रिपुरा जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय बिहार से अधिक नहीं है? 
 
उन्होंने पूछा कि वह बताएं कि क्या प्रति व्यक्ति आय की जगह उपभोग को मानक सूचकांक में शामिल करने पर ऋण उपभोग के दबाव के कारण बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में अड़ंगा नहीं लगा है? क्या उन्हें नहीं पता कि बिहार के 38 ज़िलों में से लगभग 15 ज़िले बाढ़ क्षेत्र में आते हैं जहां हर साल कोसी, कमला, गंडक, महानंदा, पुनपुन, सोन, गंगा आदि नदियों की बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति, जान-माल, आधारभूत संरचना और फसलों का नुक़सान होता है? क्या विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर इन जिलों में विकास के बुनियादी ढांचे सड़क, बिजली, सिंचाई, स्कूल, अस्पताल, संचार आदि के सशक्तिकरण में मदद नहीं मिलेगी? क्या इससे निवेश नहीं बढ़ेगा?
 
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि हकीकत में भाजपा के बड़े नेता यह सब जानते हैं लेकिन केवल अपनी पार्टी के राजनीतिक स्वार्थों के कारण वह इन्हें अनदेखा कर रहे हैं. उन्हें यह समझना चाहिए कि राजनीति जनता के हित में करनी चाहिए, पार्टी के हित के लिए नहीं.
 
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