फूल मालाएं, आतिशबाजी के साथ किया स्वागत
बिसौली। जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा से 108 दिवसीय शाकाहार सदाचार, मद्यनिषेध, आध्यात्मिक वैचारिक जनजागरण यात्रा लेकर 11 जिलों में जनकल्याण एवं आत्मकल्याण का सन्देश सुनाने के महान लक्ष्य के साथ अपने 95 वें पड़ाव पर कल सायंकाल संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज जी महाराज ग्राम आदपुर पधारे तो गांव के पूर्व से ही हजारों की संख्या में उपस्थित भाई-बहनों व बच्चे-बच्चियों ने कलशों, फूल-मालाओं, आतिशबाजी व बाजे-गाजे के साथ उल्लासपूर्ण स्वागत किया। पूज्य पंकज जी महाराज ने सत्संग सुनाते हुए कहा संत, महात्माओं का उपदेष सारी दुनिया के लोगों के लिए होता है। मनुष्य शरीर बेशकीमती है। इस शरीर में ईश्वर की अंश जीवात्मा दोनों आँखों के ऊपर मध्य भाग में बैठी हुई है। वह चेतन अजर-अमर, अविनाशी है। शरीर जड़ है। मौत के बाद जीवात्मा के साथ जाति-पात, मजहब नहीं जाता है। वहाँ प्रभु से मिलने का प्रेम और प्यार देखा जाता है। जातियाँ कर्म के अनुसार बनी है। धनवंते सब ही दुखी, निर्धन दुख स्वरूप, साध सुखी सहजो कहे, जिन पाया भेद अनूप। को उद्धृत करते हुए बताया कि पहले लोग झोपड़ियों में रहा करते थे, दस-बीस किलोमीटर के अन्दर लोगों का संसार हुआ करता था। उस समय भी महात्माओं ने दुनिया के लोगों को दुःखी बताया। आज लोग ऊँचे-ऊँचे महलों में रहते हैं। हवाई जहाज की यात्रा कर रहे। बड़े-बड़े अस्पताल बने हुए हैं फिर भी अस्पतालों में जगह नहीं है, मरीज बरामदें में पड़े रहते हैं। कचहरियों में इतनी भीड़ रहती है जैसे कोई धर्म स्थल हो। लोगों को बीस-तीस साल के पहले न्याय नहीं मिल पाता। डाक्टर, वकील, जज, इंजीनियर किसी को फुर्सत नहीं, सभी के चेहरों पर चिन्ता की लकीरें दिखाई पड़ती हैं। इतना विकास होने के बाद भी महात्माओं ने लोगों को दुखी ही कहा। ऐसी तरक्की का क्या फायदा जहाँ कीमतें और कद्रे न रहें। ये तरक्की का कसूर नहीं है। मनुष्य को मशीन का मालिक बनना चाहिए था। सबको रोटी, कपड़ा और मकान मिलना चाहिए था। हिन्दू-मुसलमान, सिख-इसाई सभी को भाईचारे के साथ रहना चाहिए था। एक-दूसरे के काम आते। हम मशीनों के मालिक न बनकर पुर्जे बन गये। सन्तों-महात्माओं ने बताया कि नाशवान क्षणिक पदार्थों से कभी सुख शांति नहीं मिल सकती। सुखी वही है जिसने महात्मा का संग करके अपने मन को दुनिया से निकालकर प्रभु के भजन में लगा दिया। ये नयी-नयी बीमारियों का कारण अशुद्ध खानपान, खेती में कीटनाशकों और रासायनिक खादों का प्रयोग है। मेले में बच्चा जब तक पिता की उंगली पकड़े रहता है वह मेले के सामानों को देखकर खुश होता है। लेकिन उंगली छूट जाने पर मेले के वही सामान उसको सुख नहीं देते हैं। वह रोता हुआ घूमता रहता है। इसी प्रकार संसार के सामानों से सुख तब मिलेगा, जब तक हम अपने गुरू की उंगली पकड़े रहेंगे। समाज में व्याप्त हिंसा और अपराध का कारण अशुद्ध आहार और शराबों को पीना बताया। हम सभी समाजसेवियों, धार्मिक लोगों, बुद्धिजीवियों से अपील करते हैं कि लोगों को शाकाहारी-सदाचारी बनायें तथा शराब जैसे दुर्व्यसनों से मुक्त करके अच्छे समाज के निर्माण में सहयोग करें। शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा। उन्होंने आगामी 20 से 24 दिसम्बर तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आयोजित होने वाले 75 वें पावन वार्षिक भण्डारा सत्संग मेला में आने का निमन्त्रण दिया। इस अवसर पर जयगुरुदेव संगत बदायूं के जिलाध्यक्ष उपदेश सिंह, ब्लाक अध्यक्ष पुलन्दर सिंह, आयोजक नरेश पाल, भू स्वामी प्रेमपाल यादव, राजू, धर्मेन्द्र, सेवक, सहयोगी संगत के ज्ञान सिंह, राजाराम, बुधराम, श्यामवीर आदि के साथ संस्था के पदाधिकारीगण भी उपस्थित रहे। सत्संग के बाद जनजागरण यात्रा अपने अगले पड़ाव हेतु ग्राम कालूपुर ब्लाक बिसौली के लिये प्रस्थान कर गई।
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