बिहार में आज से शुरू होगा बालू खनन, ड्रोन से रखी जाएगी निगरानी

बिहार में आज से शुरू होगा बालू खनन, ड्रोन से रखी जाएगी निगरानी

पटना: बिहार में बालू खनन का काम 15 अक्टूबर यानी आज से शुरू हो जाएगा. उपमुख्यमंत्री और खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इसको लेकर पिछले दिनों अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की थी. जहां उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अवैध बालू खनन को रोकने के लिए ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जाए.
 
सितंबर तक 80% राजस्व बढ़ा
विजय सिन्हा ने कहा कि विभाग के अंदर कई परिवर्तन होने जा रहे हैं. अवैध खनन को हर हाल में हम लोग रोकेंगे. उन्होंने कहा कि राजस्व को बढ़ाने के बहुत प्रयास किया जा रहे हैं. पिछले वर्ष सितंबर माह तक 575 करोड़ रुपये का राजस्व बालू खनन से प्राप्त हुआ था, जो इस साल सितंबर माह में बढ़कर 1034 करोड़ रुपये हो गया है. इस तरह लगभग 80% की वृद्धि हुई है.
 
अवैध खनन रोकने के लिए ड्रोन से निगरानी
विजय सिन्हा ने कहा कि यह बिहार सरकार की पारदर्शिता शासन प्रशासन में बैठे पदाधिकारी एवं कर्मचारियों के समर्पण और अवैध खनन पर अंकुश लगाने के कारण संभव हो पाया है सभी पदाधिकारी का लगातार सहयोग प्राप्त हो रहा है. 15 अक्टूबर से सभी घाटों में और सभी जिला कार्यालय में बैनर लगाए जाएंगे, ताकि खनन के कार्यों में पारदर्शिता बनी रहे. लोगों के बीच अवैध खनन को लेकर जानकारी बनी रहे.
 
"अवैध खनन को रोकने के लिए विभाग मुस्तैद है. सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं भी अवैध खनन न हो. साथ ही अवैध खनन की सूचना देने वाले लोगों की गोपनीयता बरकरार रखते हुए ऐसे लोगों को सम्मानित भी किया जाएगा. ऐसी सूचना मिली है कि कुछ लोगों द्वारा सेकेंडरी लोडिंग का कहीं लेखा-जोखा तैयार नहीं किया जा रहा है. अतः नियम में परिवर्तन कर सेकेंडरी लोडिंग को k-license में तब्दील कर दिया जाए."- विजय कुमार सिन्हा, उपमुख्यमंत्री, बिहार
 
मानसून में बालू खनन का काम बंद
आपको बताएं कि मानसून शुरू होने से पहले नदियों में बालू खनन का काम सरकार की ओर से रोक दिया जाता है. यह एनजीटी के निर्देश पर सरकार के द्वारा किया जाता है. 15 अक्टूबर से यह रोक समाप्त हो रहा है. हालांकि अभी भी सभी बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं हुई है.
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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