ईबीएम से डेटा डिलीट न करें चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को आदेश
- कहा- हारा उम्मीदवार स्पष्टीकरण चाहे तो इंजीनियर को बताना होगा छेड़छाड़ नहीं हुई
- हरियाणा के कांग्रेस नेताओं और एडीआर ने लगाई याचिका
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि चुनाव के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का डाटा डिलीट न किया जाए। शीर्ष कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि चुनावों के बाद ईवीएम का डाटा कैसे सुरक्षित रखा जाता है और प्रक्रिया क्या होती है। कोर्ट ने आदेश दिया कि फिलहाल ईवीएम से कोई भी डाटा डिलीट न किया जाए और न ही इसमें कोई नया डाटा डाला जाए।
चीफ जस्टिस (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग से पूछा कि चुनावों के बाद ईवीएम की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर को बर्न करने की प्रक्रिया क्या है। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने तक एश्ट में कोई डेटा रिलोड न करें, न कोई डेटा डिलीट करें। सीजेआई ने कहा, 'यह कोई विरोध की स्थिति नहीं है। अगर हारने वाले उम्मीदवार को कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो इंजीनियर यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।
इलेक्शन कमीशन को अब सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी। अगली सुनवाई 3 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल, 5 बार के विधायक लखन कुमार सिंगला और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने लगाई थी।
उन्होंने कोर्ट से ईवीएम की जांच के लिए मजबूत सिस्टम बनाने की मांग की थी।उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ईवीएम के 4 कम्पोनेंट्स- कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट की ओरिजिनल बर्न मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए पॉलिसी बनाए।
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