संपादकीय : संसदीय दल के दौरे
आपरेशन सिन्दूर में भारत का पक्ष दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए केन्द्र सरकार अलग- अलग देशों में अपने सर्वदलीय सांसदों का दल भेज रही है। सरकार का मानना है कि जब अलग- अलग विचारधाराओं के नेता मिलकर एक आवाज में आतंकवाद के खिलाफ बोलेंगे, तो दुनिया में भारत की विश्वसनीयता और मजबूत होगी। इन सांसदों में बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, डीएमके, एनसीपी शरद के सांसद शामिल होंगे। रणनीति के अनुसार 7-8 सांसदों वाले 7 समूह बनाए जाएंगे। सरकार ने बीते रोज इन सातों दलों का नेतृत्व करने वाले सांसदों के नाम भी उजागर कर दिए। इन नामों में एक नाम शशि थरूर का भी है जिनका कांग्रेस नेतृत्व से इन दिनों भाजपा से नजदीकियों के चलते शीत युद्ध चल रहा है। अन्य सांसदों में बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी की सुप्रिया सुले और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल है। बतौर सदस्य जिन सांसदों को दल में शामिल किया जा सकता है उनमें अनुराग ठाकुर, अपराजिता सारंगी, मनीष तिवारी, असदुद्दीन ओवैसी, अमर सिंह, राजीव प्रताप रूडी, समिक भट्टाचार्य, बृज लाल, सरफराज अहमद, प्रियंका चतुर्वेदी, विक्रमजीत साहनी, सस्मित पात्रा और भुवनेश्वर कलिता, संजय झा, सुदीप वंदोपाध्याय, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा, डॉ. सैयद नसीर हुसैन, राजा बराड़ हैं। हालांकि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरीके से अपनी बात रखी थी और आवाज उठाई थी उसे देखते हुए ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि सरकार उन्हें भी प्रतिनिमंडल में रखेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बहरहाल, ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत का पक्ष वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने के लिए सांसदों का हर प्रतिनिधिमंडल करीब पांच-पांच देशों का दौरा करेगा। इन देशों में जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया, ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, ब्रिटेन, कतर, यूएई, मिस्र आदि हैं। यह अभियान 23 मई से शुरू हो सकता है और लगभग 10 दिन तक चलेगा। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर केंद्र सरकार ने विपक्षी नेताओं को भी विदेश भेजा हो। 1994 में कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में जिनेवा में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था तो 2008 के मुंबई हमलों के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा था। हालांकि सांसदों के दल के नेतृत्वकर्ताओं के रूप में सरकार ने जिस तरह शशि थरूर का नाम शामिल किया उससे मामले में राजनीतिक रंग आने की सम्भावना है। एआईएमआईएम नेता ओवेसी भी इसे लेकर निराश है, उन्हें लग रहा था कि सरकार दल में एक दो मुस्लिम चेहरे रखकर भारत का पंथनिरपेक्ष चेहरा बनाए रखने की कोशिश करेगी, हालांकि सरकार ने दल में सलमान खुर्शीद व राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन जैसे चेहरों को शामिल किया है।
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