भगवान महाकाल को पुणे से आए भक्त ने चढ़ाए चांदी के आभूषण

सात किलो वजनी चांदी के मुकुट, मुंडमाला और कुंडल किए गए दान

भगवान महाकाल को पुणे से आए भक्त ने चढ़ाए चांदी के आभूषण

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और महाकाल को दान अर्पण करते हैं। सोमवार को महाराष्ट्र के पुणे से आए एक भक्त ने भगवान महाकाल को चांदी के आभूषण दान किए हैं, जो कि 7 किलो 182 ग्राम वजनी है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि पुणे निवासी गौरी प्रसाद साहेब परदेसी सोमवार को अपने परिवार के साथ भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए आए थे। इस दौरान उन्होंने चांदी का मुकुट, मुंडमाला और कुंडल भगवान महाकाल को अर्पित किया है। मंदिर प्रबंध समिति के कोठार प्रभारी मनीष पंचाल ने उन्हें दान में दी गई वस्तुओं की रसीद भी दी है।

प्रशासक सोनी ने बताया कि मंदिर की सभी व्यवस्थाएं दान के माध्यम से ही संचालित होती हैं। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित नि:शुल्क अन्न, गौशाला, चिकित्सा आदि में भी श्रद्धालु अपनी श्रद्धानुसार दान भी करते हैं। समय-समय पर मंदिर के अधिकारी, पुजारी, पुरोहितों, मंदिर प्रबंध समिति सदस्यों और कर्मचारियों के माध्यम से भी भक्तों को मंदिर में दान करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

धूमधाम से निकली भगवान महाकाल की सवारी
वहीं, सोमवार शाम को भगवान महाकाल की कार्तिक माह की पहली सवारी निकाली गई। विधिवत पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ पालकी में सवार होकर अवंतिकानाथ अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। सवारी में भगवान महाकाल ने मनमहेश के रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। सवारी में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए, जो नचते गाजे और जयकारा लगाते नजर आए। जगह-जगह भगवान महाकाल का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। यात्रा के दौरान पुलिस बैंड, घुड़सवार आकर्षक का केंद्र रहे।

मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि सवारी निकलने से पूर्व सभामंडप में पं. घनश्याम पुजारी के आचार्यत्व में विधिवत भगवान मनमहेश का पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद भगवान चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले। बाबा महाकाल की सवारी मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाडी होते हुए रामघाट क्षिप्रातट पहुंची, जहां क्षिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक किया कर पूजा-अर्चना किया गया। इसके बाद सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए मंदिर पहुंची।

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