फसल ख़राब होने की चिंता सताई, आम जीवन भी हुआ प्रभावित
झाँसी। सम्पूर्ण उत्तर भारत के साथ दिसंबर के अंतिम दिनों से सर्दी के कहर से बुंदेलखंड के झाँसी सहित सातों जिले जबरदस्त पीड़ित हैं। इस क्षेत्र में इस दौरान जबरदस्त शीतलहर , कोहरे और पाले के प्रकोप के बीच बारिश भी हुई है। सिहरन भरी सर्दी के बीच इस समय बुंदेलखंड क्षेत्र के खेत हरी भरी फसलों से गुलजार है। ऐसे में पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में यकायक बढ़ी ठंड और कोहरे के कारण लगातार तीन चार दिनों से धूप के दर्शन दुर्लभ हैं साथ ही हल्की बारिश भी हो रही है। अब इस मौसम से बुंदेलखंड के किसानों की परेशानी बढ़ने लगी है।
पिछले दो तीन दिन से पाला भी पड़ने लगा है जिसका असर दलहन ,तिलहन और गेंहू की फसल पर देखने को मिलेगा। इस समय खेतों में मसूर ,चना ,मटर ,गेंहू आदि की फसल खड़ी है । पाला पड़ने से पौधे सूख जाते हैं और फसल बरबाद हो जाती है। धूप न दिखने और पाला पड़ने के कारण अभी तक खेत में खड़ी फसल को 20 प्रतिशत का नुकसान है। अगर चार से पांच दिन और इसी तरह रहता है। धूप नहीं निकली और बारिश या पाला ज्यादा दिनों तक पड़ा तो फसल को नुकसान और अधिक बढ़ जायेगा।
खेत में खड़ी मटर की फसल पर फूल लग रहा है अभी पाले के कारण फूल पर असर कम है लेकिन अगर आगे कुछ दिन ऐसी ही स्थिति बनी रही तो मटर और मूंग की फसल को काफी नुकसान होगा। इसके अलावा दलहन और तिलहन की अन्य फसलें भी प्रभावित होंगी। दूसरी ओर तीन चार दिनों से सूर्यदेव के दर्शन न होने के साथ साथ कोहरे और हल्की बारिश के कारण गलन भरी सर्दी की मार अब आम जनता को परेशान करने लगी है।
बाजारों से रौनक गायब है और किसी जरूरी काम से ही लोग खरीदारी करने बाहर आ रहे हैं। कड़ाके की सर्दी ने लोगों को घरों में बंद होने को मजबूर कर दिया है। ठंडी हवाओं की चुभन ऐसी है कि दुकानदार भी जल्द ही दुकानें बंद कर घरों को चले जा रहे हैं। बढ़ती सर्दी के मद्देनजर प्रशासन ने बच्चों के स्कूलों की छुट्टियों को बढ़ा दिया है।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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