पीएम मोदी के जातीय जनगणना कराने का निर्णय साहसिक : अश्वनी पटेल
प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जातीय जनगणना कराये जाने के फ़ैसले को लेकर भारत की राजनीति में एक नया इतिहास लिखने का साहसिक कार्य है। इससे अन्य पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्ग के लोगों को अपनी संख्या की पहचान होगी और संख्या के अनुपात में संवैधानिक अधिकारों को पाने अवसर मिलेगा।
यह बातें भाजपा पिछड़ा मोर्चा यमुनापार ज़िले द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए काशी क्षेत्र पिछड़ा मोर्चा क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्वनी सिंह पटेल ने कहीं। उन्होंने बताया कि जातीय जनगणना आजादी के पूर्व 1931 में हुई थी। 94 वर्ष के लम्बे अन्तराल में अफसोस कि मोदी के अलावा गैर भाजपाई सरकार ने जातीय जनगणना कराने का कभी साहस नहीं जुटाया। राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव जैसे पिछड़ा विरोधी सोच रखने वाले आज मोदी के जातीय जनगणना कराने के फैसले का श्रेय लेने की होड़ में खड़े दिखाई देते हैं। अच्छा होता कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल व बहुजन समाज पार्टी आदि सभी गैर भाजपाई दलों के नेता भारत के पिछड़े वर्ग के लोगों से माफी मांगते।
उन्होंने आगे कहा कि मोदी जी ने साबित किया है कि वह जो कहते हैं, करके भी दिखाते हैं। भाजपा की विचारधारा अन्योदय से सर्वोदय तक जाने की है। जो जातीय जनगणना के फैसले से सही प्रतीत हो रही है। अश्वनी सिंह ने आगे बताया कि 1990 में भाजपा के समर्थन से बी.पी सिंह की सरकार नहीं बनी होती तो देश को कभी ओबीसी के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण भी नहीं मिला होता। प्रधानमंत्री मोदी सही मायनों में देश की 140 करोड़ जनता के रहनुमा हैं जिन्होंने “सबका साथ सबका विकास“ की अवधारणा पर सबको आगे बढ़ाने का काम किया है। ओबीसी समाज के हित में जो महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं, वह नरेन्द्र मोदी के भाजपा सरकार में हुआ है। पत्रकार वार्ता में पिछड़ा मोर्चा जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।
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