जान बचाने के लिये जब साइकिल से मुलायम सिंह यादव भागे थे दिल्ली!

जान बचाने के लिये जब साइकिल से मुलायम सिंह यादव भागे थे दिल्ली!

कहा जाता है कि समय और राजनीति कब किसी को कहां पहुंचा दे कोई नहीं जानता। अखाड़े की राजनीति से निकलकर प्रदेश की राजनीति से होते हुए केंद्र की सत्‍ता में पहुंचे मुलायम सिंह यादव "नेताजी" के नाम से लोकप्रिय थे। जिन्‍होंने अपने परिश्रम और राजनीतिक की उन्‍दा समझ के बलबूते उत्‍तर प्रदेश में तीन बार मुख्‍यमंत्री बने और सात बार सांसद बने। 

डकैतों से संबंध होने और हत्‍या का लगा था आरोप
जिन मुलायम सिंह यादव का राजनीति में हमेशा दबदबा रहा, उनके जीवन में भी एक ऐसा समय आया था जब उनके एनकाउंटर का यूपी सरकार ने आदेश जारी कर दिया गया था और मुलायम सिंह यादव की जिंदगी पर बन आई थी। मुलायम सिंह यादव के एनकाउंटर का दे दिया गया था आदेश बात 1981 की है जब एक अंग्रेजी अखबार की एक खबर के कारण पूर्व प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्‍यमंत्री विश्‍वनाथ प्रताप सिंह ने मुलायम सिंह का एनकाउंटर करने का आदेश दे दिया था। उन पर डकैतों से संबंध होने और हत्‍या का आरोप लगा था। जिसके आधार पर पुलिस को मुलायम सिंह के एनकाउंटर का आदेश मिला था। 

साइकिल से जान बचाकर भागे थे "नेताजी" 
मुलायम सिंह यादव जिनकी पकड़ पुलिस विभाग में थी, उन्‍हें यूपी पुलिस के सूत्रों से पता चल गया कि उनका एनकाउंटर होने वाला है तब वो अपनी जान बचाने के लिए अपनी किसी कार पर सवार होने के बजाय साइकिल पर सवार होकर इटावा पहुंचे थे। उसके बाद वो कच्‍चे रास्‍तों से गांव गांव होते हुए दिल्‍ली में पहुंचकर शरण ली थी। 

चौधरी चरण सिंह के पैरों में गिर पड़े थे मुलायम सिंह यादव 
अपनी जान बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव चौधरी चरण के घर पहुंच गए और वहां पर पहुंचकर उनके पैर पड़ गए और बताया कि वीपी सिंह ने मेरे एनकाउंट का आदेश दिया इसलिए पुलिस मुझे ढूढ़ रही है। 

चौधरी चरण सिंह ने मुलायम सिंह की ऐसे की थी मदद 
चौधरी चरण सिंह ने उस समय मुलायम सिंह की मदद की और चौधरी चरण सिंह ने मुलायम सिंह की काबलियत के कारण अपनी पार्टी में उत्‍तर प्रदेश विधान मंडल दल का नेता नियुक्‍त कर बड़ा दांव चल दिया। मुलायम सिंह का ये प्रभाव और उनका व्‍यवहार था जिसकी बदौलत चरण सिंह ने उनकी मदद की थी। R

मुलायम सिंह की सुरक्षा में लग गई वही यूपी पुलिस 
मुलायम सिंह यादव कब और कैसे लखनऊ छोड़ फरार हो गए इसकी पुलिस को खबर ही नहीं हुई। जब लखनऊ के चप्‍पे- चप्‍पे उन्‍हें पुलिस ढूढ़ रही थी तब वो उनकी आंख में धूल झोंकर साइकिल से जान बचाकर भागे थे और ऐसे नेता की शरण में गए जिन्‍होंने उन्‍हें यूपी में ऐसे पद पर बैठा दिया कि जो पुलिस कुछ उन्‍हें ढूढ़ रही थी वो ही उनकी सुरक्षा में लग गई थी।

About The Author

Tarunmitra Picture

‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां