प्लास्टिक का त्याग ही बैकुंठ का मार्ग : डॉ. अनिल जोशी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्लास्टिक का त्याग ही बैकुंठ का मार्ग : डॉ. अनिल जोशी

प्रयागराज। पर्यावरणविद् व पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से खासे दुष्प्रभाव होते हैं, जोकि गंभीर चिंता का विषय है ।प्लास्टिक की बोतलें अपने जीवन से त्याग कर आप इसी जीवन में बैकुंठ प्राप्त कर सकते हैं। प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से हमारे जल स्रोत जहरीले हो रहे हैं, जिसके कारण मानव स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा पैदा हो रहा है। वह गुरुवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा भारत की नदियाँ, इतिहास, संस्कृति और संरक्षण की चुनौतियां एवं समाधान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।

डा. जोशी ने स्पष्ट किया कि प्लास्टिक न केवल नदियों और जलस्रोतों को प्रदूषित करता है, बल्कि मिट्टी, वायुमंडल और सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि हम अपनी जीवनशैली में परिवर्तन कर प्लास्टिक मुक्त जीवन अपनाएं, तो यह न केवल पृथ्वी के संरक्षण में सहायक होगा, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यदि हम प्लास्टिक का त्याग कर प्राकृतिक जीवन अपनाएं तो न केवल हमारी नदियों और पर्यावरण सुरक्षित रहेंगे, बल्कि हम स्वयं भी मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करेंगे।

संगोष्ठी में सभी शोधार्थियों और पर्यावरणविदों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि नदियों का संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि जनसहभागिता अत्यंत आवश्यक है। नदियों का संरक्षण एक सामूहिक दायित्व है, जिसे केवल सरकारी योजनाओं के माध्यम से ही नहीं, बल्कि जनचेतना और व्यवहारिक परिवर्तन द्वारा ही सम्भव बनाया जा सकता है। दूसरे सत्र का विषय साहित्य में नदियों का सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक स्वरूप था। रामबाबू तिवारी ने भारतीय साहित्य में नदियों की आध्यात्मिक अवधारणा पर चर्चा की, जबकि संजय हर्ष मिश्रा ने नदियों से जुड़े लोकगीतों और कथाओं की व्याख्या की।गुजरात के राहत आयुक्त एवं सचिव, राजस्व विभाग, गुजरात आलोक कुमार पांडेय ने नदियों के संरक्षण में सरकारी नीतियों और जनसहभागिता की भूमिका को रेखांकित किया।

इस दौरान आईआईटी बीएचयू के प्रो. प्रभात कुमार सिंह, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय, राष्ट्रीय सह संगठन सचिव संजय हर्ष मिश्रा, प्रो. डॉ.सर्वेश सिंह, प्रो. अनामिका रॉय, डॉ. अरविंद यादव, प्रो. हर्ष कुमार, डॉ. शैलेश कुमार यादव, प्रो. एचएन दुबे, डॉ.अमित सिंह, डॉ. रामाशंकर सिंह व आयोजन सचिव डॉ. अतुल नारायण सिंह ने भी नदियों व पर्यावरण के बारे में सारगर्भित विचार व्यक्त किए।

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