भाजपा नेताओं के निशाने पर ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने वाले नेता
By Tarunmitra
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गोण्डा: ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी व स्वामी प्रसाद मौर्य शनिवार को केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री व जिले के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के निशाने पर रहे।बृजभूषण शरण सिंह ने राहुल गांधी की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाया तो कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि कूटनीति के बारे में राहुल गांधी की अज्ञानता न केवल चिंताजनक है बल्कि यह खतरनाक भी है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बृजभूषण ने उनकी तुलना कुत्ता से करते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य भौंक रहे तो भौंकने दीजिए,इससे पहले बहुत लोग भौंके है। सरकार व सेना कोई भी निर्णय लेती है तो बहुत सोच समझकर लेती है।
ऑपरेशन सिंदूर और सीज फायर पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी शनिवार को केंद्रीय विदेश राज्य कीर्तिवर्धन सिंह के निशाने पर रहे। राहुल गांधी के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय विदेश राज्य अपने फेसबुक पेज लिखा कि कूटनीति के बारे में राहुल गांधी की अज्ञानता न केवल चिंताजनक है बल्कि यह खतरनाक भी है। युद्ध विराम पर सवाल उठाना दिखाता है कि उन्हें न तो कूटनीति की समझ है और न ही राष्ट्रीय हितों की परवाह है। राहुल जी यह भ्रम में न रहे की विदेश नीति उनकी पारिवारिक जागीर है। इसके लिए नारों की नहीं, गंभीरता की जरूरत होती है। राहुल को पाकिस्तान की स्क्रिप्ट दोहराना बंद कर देना चाहिए। भारत के सामरिक मामलों को वंशवादी और नाटकबाजी तक ही सीमित नहीं किया जा सकता।
वहीं पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह भी राहुल गांधी और स्वामी प्रसाद मौर्य पर आक्रामक रहे। विदेश नीति व राफेल को लेकर उठाए गए राहुल के सवाल पर पलटवार करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने राहुल गांधी की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाया। पूर्व सांसद ने कहा कि राहुल गांधी की बौद्धिक क्षमता पर उन्हे तरस आता है।
उन्होने सवाल करते हुए कहा कि विदेश नीति फेल हो तो क्या राहुल के लिए गर्व की बात है? जहाज पाकिस्तान ने उड़ा दिया तो राहुल के लिए गर्व का विषय है? सूप बोले चलनी बोले जिसमें 72 छेद। 1971 ने कांग्रेस ने 92 हजार सैनिकों को 6 महीने तक खिलाया पिलाया और फिर छोड़ दिया। दुनिया के इतिहास में यह पहली बार हुआ। वहीं ऑपरेशन सिंदूर व सेना पर सवाल उठाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की तुलना कुत्ते से करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि वह भौंक रहे हैं तो भौंकने दीजिए। इससे पहले भी बहुत भौंके है। सरकार व सेना कोई भी निर्णय लेती है तो बहुत सोच समझकर लेती है। सीज फायर का फैसला क्यों लिया गया इसका जवाब सही समय मिलेगा।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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