लड़का-लड़की में भेदभाव न करने को करें काउंसिल
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर स्वास्थ्य विभाग ने आयोजित की कार्यशाला
लखनऊ। अल्ट्रासाउंड केंद्र पर आने वाले लाभार्थियों को लड़का-लड़की में भेदभाव न करने के लिए काउंसिल करें। उन्हें बताएं कि लड़कियां ऊंचे मुकाम हासिल कर रही हैं। समाज में लड़का लड़की बराबर हैं का प्रचार प्रसार व्यापक तौर से करना जरूरी है तभी समुदाय की मानसिकता में बदलाव आएगा। ये बातें अपर निदेशक,चिकित्सा,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण,लखनऊ मंडल डॉ. जी.पी.गुप्ता ने कही।
शुक्रवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर अपर निदेशक कार्यालय , चिकित्सा,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण,लखनऊ मंडल में जागरूकता निकाली गई जिसे मंडलायुक्त प्रतिनिधि गूंजिता अग्रवाल,आईएएस ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। डा गुप्ता ने बताया कि बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला साथ ही शिक्षा,स्वास्थ्य एवं पोषण तक समान पहुंच पर जोर दिया साथ उन्होंने कहा सरकार के प्रयासों से लिंगानुपात में कमी आई है लेकिन और इस पर और फोकस करने की जरूरत है । इसको लेकर जो भी नियम कानून बनाए गए हैं उसकी जानकारी चिकित्सकों, अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट को होना बहुत जरूरी है ।
सीएमओ डॉ. एन.बी.सिंह ने कहा कि वंश को आगे बढ़ाने, अंतिम संस्कार लड़के द्वारा किए जाने जैसे गलत सोच के कारण लोग गर्भ में ही कन्या भ्रूण हत्या कर देते हैं। इसको गैरकानूनी करार करते हुए सरकार ने गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध), अधिनियम(पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1994 लागू किया है । मुखबिर योजना चलाई है तथा गर्भ समापन संशोधन अधिनियम(एम टी पी एक्ट), 2021 लागू किया गया है ।
इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एन.यादव, डॉ.एम.एच.सिद्दीकी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ए.पी.सिंह, डॉ.ज्योति कामले, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक सतीश यादव, पीसीपीएनडीटी के जिला समन्वयक शादाब, सभी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की महिला रोग विशेषज्ञ, एसजीपीजीआई, आरएमएल, झलकारी बाई, रानी अवंती बाई जिला महिला चिकित्सालय सहित अन्य सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के अल्ट्रा साउंड विशेषज्ञ, पीसी पीएनडीटी के विधिक सलाहकार प्रदीप मिश्रा, पटल सहायक संजीव श्रीवास्तव और एडी कार्यालय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अन्य अधिकारी कर्मचारी व सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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