निजीकरण रद्द करने की मांग करेगी संघर्ष समिति
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा विद्युत नियामक आयोग को भेजे गए निजीकरण के मसौदे के विरोध में संघर्ष समिति जन सुनवाई की सभी तारीखों पर नियामक आयोग के समक्ष आपत्ति दर्ज कराते हुए निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग करेगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने गुरूवार को यहां जारी बयान में कहा कि अवैधानिक ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा तैयार किए गए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का पूरा मसौदा असंवैधानिक है। संघर्ष समिति ने निजीकरण के मसौदे पर बिंदुवार आपत्तियां तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन किया है। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी जनसुनवाई के दौरान सभी शहरों में उपस्थित रहेंगे और निजीकरण के विरोध में हर जगह आपत्ति दर्ज की जाएगी और निजीकरण निर्णय रद्द करने की मांग की जाएगी।
संघर्ष समिति ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग सात जुलाई को लखनऊ में,नौ जुलाई को केस्को में, 11 जुलाई को वाराणसी में, 15 जुलाई को आगरा में ,16 जुलाई को ग्रेटर नोएडा में और 17 जुलाई को मेरठ में सुनवाई करने वाला है। इन सभी बैठकों में सुनवाई के दौरान संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
संघर्ष समिति ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि किस बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 में भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया था जिस पर आपत्तियां मांगी गई थी। बिजली इंजीनियरों ने भी उस पर आपत्ति की थी। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट बिडिंग डॉक्यूमेंट को आज तक फाइनल नहीं किया है।
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