भाजपा से सरोज पांडेय को लोस टिकट मिलने पर कहीं खुशी-कहीं गम

भाजपा से सरोज पांडेय को लोस टिकट मिलने पर कहीं खुशी-कहीं गम

कोरबा। भारतीय जनता पार्टी ने आंकलन के अनुसार मार्च के पहले ही सप्ताह लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची शनिवार देर शाम घोषित कर दी है। कोरबा लोकसभा भी इसमें शामिल है, जहां कांग्रेस की ज्योत्सना चरणदास महंत मौजूदा सांसद हैं। कांग्रेस का विजय रथ रोकने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व राज्यसभा सांसद व कोरबा की कार्यपालक सांसद रहीं सरोज पाण्डेय को कोरबा से टिकट दे दी है। सरोज पाण्डेय को टिकट देने के बाद से जिले का भाजपाई खेमा सन्न है। कहीं खुशी-कहीं गम के हालात बनी हुई हैं। खुशी उनमें है जो यह चाहते थे कि उसके अलावा दूसरे किसी को टिकट न मिले और गम उनमें है जो पूरा जोड़-तोड़ लगाने के बाद भी कूचे से बेजार होकर निकले हैं। यह तो सर्वविदित है कि टिकट की दौड़ में विधानसभा चुनाव के समय से लोकसभा के लिए सक्रिय होकर केन्द्रीय नेताओं के आगे-पीछे चलने वालों की कमी कोरबा लोकसभा से भी नहीं थी और यह अपने आप में इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि उन्हें तो टिकट इस बार मिलेगी ही, लेकिन उम्मीदों से काफी विपरीत और कोरबा लोकसभा की आठ विधानसभा में से एक भी क्षेत्र से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से निराशा देखी जा रही है। हालांकि भाजपाई, संगठन के निर्देश को शिरोधार्य कर बातों को अपने मन में दबाये बैठे हैं कि आखिर कौन सुनेगा, किसको सुनाएं, इसलिए चुप रहते हैं।

टिकट के प्रबल दावेदारों में विकास महतो, जोगेश लाम्बा, अशोक चावलानी, देवेन्द्र पाण्डेय, डॉ. राजीव सिंह, हितानंद अग्रवाल, कोरिया-बैकुंठपुर जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार जायसवाल, एकाएक सामने आए राकेश शर्मा, रघुराज सिंह उईके, रामदयाल उईके आदि नाम शामिल रहे। इन्होंने आम जनता के बीच अपने लिए माहौल बनाने के साथ-साथ संगठन में काफी सक्रियता और मुखरता से भी काम करते नजर आये लेकिन इनमें से कोई भी एक दावेदार शीर्ष संगठन की नजर में कोरबा लोकसभा के लिए योग्य साबित नहीं हो सका। दावेदार भले ही खुले तौर पर कुछ न बोलें लेकिन दबी जुबान में यह बात तो जरूर निकली है कि, आखिर हमने संगठन का क्या बिगाड़ा? विधानसभा भी नहीं मिली और लोकसभा टिकट से भी हाथ धो बैठे हैं।



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