ईश्वरीय चेतना का सरलीकरण ही अवतार है- शास्त्री
श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु
बस्ती - अवतार के तीन भेद किए गए हैं जन्म, समागम और प्राकट्य। शरीर का जन्म होता है, आत्मा और शरीर का समागम होता है, ईश्वर का केवल प्राकट्य होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। यह सद्विचार कथा व्यास डॉ राम सजीवन शास्त्री ने हर्रैया विकासखण्ड के समौड़ी गाँव में सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन व्यक्त किया।
शास्त्री जी ने कहा कि भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा के दौरान शास्त्री जी ने तमाम गीतों के माध्यम से श्रीकृष्ण जन्म का वर्णन किया और साथ ही निकाली गई झांकी ने दर्शकों का मन मोह लिया सभी श्रद्धालु झूम उठे।
इस दौरान देवेंद्र नाथ मिश्र बाबू जी, धीरेन्द्र नाथ मिश्र, श्रीनाथ मिश्र, सुरेंद्र नाथ मिश्र, राम सुमति मिश्र, नन्द कुमार मिश्र, धरणीधर मिश्र, रामफूल मिश्र, विजय नारायण मिश्र, ओम नारायन उर्फ पानी बाबा, ओम प्रकाश मिश्र, उमाकान्त तिवारी, अनिल मिश्र, सुनील मिश्र, दुर्गा प्रसाद मिश्र, महेंद्र मिश्र, जगदंबा ओझा, प्रेम शंकर ओझा, पवन शुक्ल, विजय मिश्र, काशी प्रसाद पाण्डेय, जय प्रकाश पाण्डेय, भाल चंद्र शुक्ल, पशुपति नाथ शुक्ल, गणेश शुक्ल, दुर्गा प्रसाद मिश्र, मनमोहन, भवानी सेठ, गंगोत्री प्रसाद शुक्ल, रमेश चन्द्र शुक्ल, आनन्द पाण्डेय, चन्द्र प्रकाश मिश्र, बब्बू, रवीश, वेद उत्तम, बजरंगी, गोपाल, हर्ष सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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