‘कुण्डलिया छंदों की अन्तर्यात्रा’ का विमोचन
संभावनाओं के शिल्पकार हैं डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
बस्ती - प्रेस क्लब सभागार में डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ कृत ‘कुण्डलिया छंदों की अन्तर्यात्रा’ का विमोचन समारोह पूर्वक किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. राम नरेश सिंह मंजुल ने कहा कि डॉ. राही की यह दूसरी कृति है। उनकी पहली कृति ‘बस कुंआनों बह रही है’ को साहित्य जगत में काफी समादार मिला। वे संभावनाओं के शिल्पकार हैं। ‘कुण्डलिया छंदों की अन्तर्यात्रा’ में 401 छंदों के द्वारा कवि ने जीवन के विभिन्न सन्दर्भो, सामाजिक उमंग, और उसकी वेदना को स्वर दिया है। कहा कि कुण्डलियां साहित्य से लुप्त होती जा रही है, इसे डॉ. राही ने पुर्नजीवित किया है।
विशिष्ट अतिथि श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ का रचना संसार अनूठा है, वे आस-पास के सन्दर्भो को शब्द देकर सृजन के रूप में गहरी चोट करते हैं। डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि निश्चित रूप से ‘कुण्डलिया छंदों की अन्तर्यात्रा’ साहित्य जगत में प्रतिष्ठित होगी। इसका विम्ब विधान विविधता लिये हुये है।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ समीक्षक डा. रघुवंशमणि त्रिपाठी ने कहा कि रचनाकार अपने आस-पास के सन्दर्भो को लेकर सजग है, ‘कुण्डलिया छंदों की अन्तर्यात्रा’ में देशज माटी की खुशबू पाठकों को मिलती है। उनके छंदों में समाज के विभिन्न समस्याओं का चित्रण पाठकों को समृद्ध करेगा।
विमोचन अवसर पर ओंकार सिंह ने आगन्तुकांे का स्वागत करते हुये कहा कि मेरे छोटे भाई का बचपन से ही साहित्य से अनुराग है। उनकी दूसरी पुस्तक निश्चित रूप से सराही जायेगी। रचनाकर डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ ने कहा कि उन्होने जो देखा, समझा उसे शव्द दे दिया। अब निर्णय पाठकों पर है।
शिव बहादुर सिंह, भूपेन्द्र प्रताप सिंह, धीरेन्द्र प्रताप सिंह, श्रवण कुमार सिंह, अशोक श्रीवास्तव, बटुकनाथ शुक्ल, पं. चन्द्रबली मिश्र, नीरज वर्मा, शिवशंकर पाण्डेय ने ‘कुण्डलिया छंदों की अन्तर्यात्रा’ पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दूसरे चरण में आयोजित कवि सम्मेलन में सुशील सिंह ‘पथिक’, सागर गोरखपुरी, डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’, डा. पारस वैद्य, अफजल हुसेन अफजल, तौव्वाब अली, दीपक प्रेमी, जगदम्बा प्रसाद भावुक, हरिकेश प्रजापति, आदित्य ‘आशिक’, आर.एन. सिंह, रहमान अली रहमान, शाद अहमद ‘शाद’ मयंक श्रीवास्तव, चन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने काव्य पाठ से वातावरण को सरस बना दिया। हरियाणा से आये ओज के कवि प्रीतम नायक को श्रोताओं ने डूब कर सुना। इस अवसर पर अतिथियों को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया गया। संचालन विनोद कुमार उपाध्याय हर्षित ने किया। मुख्य रूप से तारकेश्वर मिश्र, वीरेन्द्र कुमार, परमात्मा सिंह, विजय कुमार सिंह, राजेन्द्र प्रसाद दूबे, परशुराम, हरिश्चन्द्र शुक्ल, राहुल सिंह, राजेश उपाध्याय, अवधेश श्रीवास्तव, वेद प्रकाश, योगेन्द्र सिंह, नागेन्द्र सिंह, सन्तोष भट्ट, राजेश चित्रगुप्त, अजय श्रीवास्तव, अनीस अहमद, शैलेन्द्र कुमार, विवेक सिंह, सर्वेश पाण्डेय, अनिल कुमार गुप्ता, विशाल पाण्डेय, सामईन फारूकी, गोपीनाथ मिश्र, नगेश्वर के साथ ही अनेक साहित्यकार और समाज के विभिन्न वर्गो के लोग उपस्थित रहे।
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