बिपार्ड , ईडी व खेल परिसर के चिन्हित ज़मीन पर भू- माफियाओं की बुरी नज़र
चुनाव तिथि के दिन रातों- रात डाल देते हैं झोपड़ी और कर लेते हैं अवैध क़ब्ज़ा
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आवास बोर्ड के अधिग्रहीत ज़मीन पर किसान और कॉपरेटिव का दावा लॉ एंड ऑर्डर के लिए बना चुनौती

दो माह के अंदर 50 भू- माफिया व ठेकेदार पर एफ़आइआर लेकिन गिरफ़्तारी शून्य
रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) । पुलिस- प्रशासन शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर सक्रियता से जुटी है । इधर भू- माफ़ियाओं की बुरी नज़र बिपार्ड , ई डी व खेल परिसर के लिए चिन्हित ज़मीन पर है ।भू- माफिया रातोंरात झोपड़ी डालकर ज़मीन क़ब्ज़ा करने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं बिहार राज्य आवास बोर्ड के पदाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी निगरानी रखें हुए है । दो माह में 50 भू - माफिया व ठेकेदारों पर एफ़आइआर के बाद भी गिरफ़्तारी नहीं होना कहीं न कहीं हौसले को बुलंद करने का काम कर रही है ।
लोकसभा चुनाव को लेकर पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस बल की ड्यूटी अन्य ज़िलों में लगे है । थानाध्यक्ष को छोड़कर अन्य पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बल मतदान तिथि के एक दिन पूर्व से ही गंतव्य ड्यूटी के लिए प्रस्थान कर जाते हैं । दूरी रहने पर दूसरे दिन उक्त पुलिसकर्मी थाना पहुँचते है । यह तीन दिन पुलिसकर्मियों के लिए व्यस्त भरा होता है । इसका लाभ राजीवनगर के भू - माफिया बख़ूबी उठा रहे है । बिपार्ड , ईडी व खेल परिसर के सुरक्षित ज़मीन पर भू- माफियाओं का बुरी नज़र है ।
बिहार राज्य आवास बोर्ड के अधिग्रहण भूमि 1024 एकड़ के अंश भाग 10 प्रतिशत शेष बचा है । इसमें बिपार्ड ( बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान) के लिए 10 एकड़ ज़मीन एसएसबी के पीछे चिन्हित है । इसी तरह खेल परिसर के लिए 10 एकड़ ज़मीन, 90 फ़ीट के दक्षिण चिन्हित है वही ईडी के लिए 1 एकड़ ज़मीन घुड़दौड़ मोड़ और पॉलसन रोड के बीच में चिन्हित किया गया है । सीबीएसई के उत्तर में सीबीएसई आवासीय परिसर बनाने के लिए ज़मीन की मांग की गयी है ।
अधिग्रहण के 45 - 50 साल बीतने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनीं हुईं है । किसानों का दावा है की मुआवज़ा नहीं मिला है , ज़रूरत के अनुसार औने - पौने दामों पर बेच देते है । इसी क्रम में सन् 1978-1998 तक कई कॉपरेटिव ने भी फर्जीवाड़ा कर अधिग्रहण के ज़मीन को कॉपरेटिव के नाम करा लिया । अधिग्रहीत ख़ाली ज़मीन को किसान और कॉपरेटिव दोनों बेच रहे हैं और इसमें भू- माफियाओं का चांदी है । एक ही ज़मीन पर किसान और कॉपरेटिव का दावा लॉ एंड ऑर्डर के लिए चुनौती बन गया है । ज़मीन तो बिहार राज्य आवास बोर्ड की है लेकिन एक ज़मीन के चार- चार दावेदार थाना तक पहुंचते है और इनकी पहुंच बहुत उपर तक होती है । यहीं पहुंच विधि- व्यवस्था और कार्रवाई में बाधा उत्पन्न कर रहीं है । भौकाल बनाने के लिए कुछ लोग तो ईडी, इओयू और निगरानी तक नाम लेने से गुरेज़ नहीं करते है ।
अधिग्रहण तिथि से आजतक के कार्रवाई पर गौर करें तो क़रीब 200 से ऊपर एफ़आइआर हो चुके हैं । चोरी - छीपे मकान बनने का सिलसिला यूँही चलता रहा है । अधिग्रहण 1024 एकड़ में क़रीब 5 हज़ार से ऊपर मकान बन गये हैं और इसमें लाखों लोग रहते है । दो माह में क़रीब 50 भू- माफिया और ठेकेदारों पर एफ़आइआर किया गया है , इसमें मात्र 10 की गिरफ़्तारी हुई है । वरीय पुलिस अधिकारी की मानें तो चुनाव के कारण गिरफ़्तारी की धीमी गति हुई है लेकिन जल्द ही अभियान चलाकर भू- माफियाओं को गिरफ़्तार किया जायेगा और संयुक्त रूप से अवैध निर्माण को रोकने का काम किया जायेगा ।
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