पत्रकारों का उत्पीड़न बर्दाश्त नही होगा,उनके हकों की लड़ाई मजबूती के साथ लड़ी जाएगी

शामली। उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ का यह दावा कहां तक सही है कि पत्रकारों का उत्पीड़न अब बर्दाश्त नहीं होगा पत्रकारों पर हमले को लेकर उच्च न्यायालय के आदेश को प्रभावी बनाया जाए जिसमें पत्रकार पर हमले या उत्पीड़न पर स्थानीय प्रशासन तत्काल मुकदमा पंजीकृत कर सख्त कार्रवाई करते हुए अपराधियों को जेल भेजें इसके संबंध में अगर कार्रवाई नहीं हुई तो अगर कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी जबकि शासनादेश की बात की जाए तो पत्रकार उत्पीड़न और अभद्रता पर 50000 का जुर्माना और 3 वर्ष की कैद का मान्य उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख है। 

लेकिन इसका पालन धरातल पर शून्य दिखाई दे रहा है जिसकी तस्वीर जनपद सहारनपुर में लगातार पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमले अभद्रता और पत्रकार उत्पीड़न पर जिला पुलिस प्रशासन की चुप्पी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है जब सहयोगी पत्रकारों के द्वारा हमले की खबर सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया पर भी चलाई है तो क्या उच्च अधिकारियों को पता नहीं चलता मगर फिर भी प्रशासन मौन है पत्रकार अशोक कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर अपनी पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सारे घटनाक्रम को उच्च अधिकारियों को अवगत कराने का प्रयास किया है ।

मगर पत्रकार को लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही है लेकिन अभी तक पुलिस प्रशासन के द्वारा अपराधियों पर कोई भी कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है पुलिस प्रशासन माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय उच्च न्यायालय के भी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है आखिर किसी दबाव में सहारनपुर जिले के पुलिश प्रशासन  को झुकना पड़ रहा है  जिसको देखकर यही साबित करने के लिए पर्याप्त है की पत्रकार हित को लेकर माननीय न्यायालय व मुख्यमंत्री के सारे आदेश सिर्फ फाइलों में ही सीमित है धरातल पर उनका कोई महत्व नहीं है अगर पत्रकार  अशोक कुमार शर्मा को कोई न्याय नहीं मिलता है तो पत्रकार आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगें।

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