यूपी में कछुए की चाल चल रही ‘दीनदयाल अंत्योदन योजना’
संकट में ग्रामीण आजीविका मिशन कर्मचारी, इको गार्डेन में दे रहें धरना
- 2011 में हुआ लॉन्च, ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने की रही मंशा
- सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत से भटक रही सरकार: प्रदेश अध्यक्ष
लखनऊ। देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य यूपी में कछुए की चाल चल रही है दीनदयाल अंत्योदय योजना जबकि भाजपा नीत केंद्र से लेकर सूबे की सरकार लगातार सार्वजनिक सभाओं में यह दावा करती रहती है कि उनके कार्यकाल में सबका साथ और सबका विकास के सिद्धांत पर समाज के अंतिम व्यक्ति तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाता है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व नाम उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से संचालित यह जनहितकारी सरकारी योजना अब प्रदेश में ही दम तोड़ती नज़र आ रही।
सोमवार को उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश मोघा ने प्रेस क्लब से मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि योजना का नाम तो बदल गया मगर इसकी चाल-ढाल नहीं बदल पायी। बताया कि मिशन के तहत कार्यरत कर्मचारियों को 7 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्घि देय होने के बावजूद भी बीते नौ साल पुराने वेतन पर ही काम करना पड़ रहा, वहीं इस अवधि में महंगाई 62 से 70 प्रतिशत का आंकड़ा छू चुकी है। आगे बताया कि 2011 में यह योजना लाई गई और नियमत: यूपीएसआरएलएम में 10 हजार से अधिक कर्मी होने चाहिये, मगर अब केवल 3500 से भी कम कर्मियों से योजना का काम कराया जा रहा। इनके अनुसार क्षेत्रों में कार्य भ्रमण के दौरान दर्जनों कर्मचारी सड़क हादसों के शिकार हुए, लेकिन विभाग की तरफ से उनके परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया गया।
उपाध्यक्ष सुनील कुमार, प्रतिभा सिंह, और सचिव कुलदीप सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि राजधानी मुख्यालय पर मिशन निदेशक से कई दौर की मुलाकात की, मगर जमीनी अमल नहीं हो सका। वैसे बीते 30 नवम्बर से ईको गार्डेन में प्रदेश भर से आये आजीविका मिशन कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं पर अभी तक शासन-प्रशासन के किसी भी नुमाइंदे ने उनकी आवाज नहीं सुनी। गौर हो कि उक्त आजीविका मिशन को इसी उद्देश्य के साथ तत्कालीन भारत सरकार ने लॉन्च किया था ताकि गरीब व असहाय परिवारों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। साथ ही उनके क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के जरिये ऐसे ग्रामीणों की आजीविका में सुधार करना और संबंधित वित्तीय सेवाओं उन तक सहज और सरल ढंग से पहुंचाना रहा।
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