हवा में मौजूद जहरीली गैस से अलर्ट करेगा सस्ता देसी सेंसर
By Tarunmitra
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नई दिल्ली। बंगलूरू के वैज्ञानिकों ने कम लागत वाला ऐसा सेंसर विकसित किया है, जो हवा में मौजूद जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) गैस की रियल-टाइम पहचान कर सकता है। यह गैस सांस की बीमारियों से लेकर फेफड़ों की स्थायी क्षति तक का कारण बन सकती है।
नया सेंसर बंगलूरू स्थित नैनो और सॉफ्ट मैटर साइंसेज केंद्र के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इसे बनाने में निकेल ऑक्साइड व नियोडिमियम निकेलेट का इस्तेमाल किया गया है। इसमें निकेल ऑक्साइड गैस की पहचान करता है, जबकि नियोडिमियम निकेलेट उस संकेत को कुशलता से आगे ट्रांसमिट करता है। इसकी खासियत यह है कि यह सेंसर 320 पार्ट्स पर बिलियन (पीपीबी) जितनी अल्प मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड को भी पहचान सकता हैै।
इसलिए जरूरी है सेंसर
सल्फर डाइऑक्साइड एक घातक वायु प्रदूषक है, जो वाहनों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक इकाइयों से निकलता है। यह गैस अस्थमा, सांस की तकलीफ और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। मौजूदा निगरानी प्रणालियां या तो काफी महंगी हैं या फिर इतनी संवेदनशील नहीं कि कम स्तर के प्रदूषण को पकड़ सकें। इसी चुनौती को हल करने के लिए यह नई सेंसर प्रणाली सामने आई है।
राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी नेटवर्क की संभावना
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस सेंसर का बड़े पैमाने पर निर्माण और वितरण किया जाए तो भारत के शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में एक कम लागत वाला वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क खड़ा किया जा सकता है। यह न केवल नीति निर्धारण में मदद करेगा बल्कि एनवायरनमेंटल इमरजेंसी सिस्टम का आधार भी बन सकता है। इसके साथ स्कूली शिक्षा,हेल्थकेयर और स्मार्ट सिटी मिशन में भी इसका समावेश संभव है।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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