बंगाल भाजपा में अंदरूनी कलह, विधायकों के बागी तेवर से बड़ी मुश्किलें

बंगाल भाजपा में अंदरूनी कलह, विधायकों के बागी तेवर से बड़ी मुश्किलें

कोलकाता ।पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 77 विधायक जीते थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 65 रह गई है। पार्टी में टूट, इस्तीफे और विधायकों के निधन की वजह से यह संख्या घटी है, और अब खबरें हैं कि आठ और विधायक भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के दो विधायक, जो पहले से सांसद थे, इस्तीफा देकर वापस संसद चले गए। इसके बाद, धीरे-धीरे आठ और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। एक विधायक का निधन हो गया, जबकि एक और विधायक ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बनने के बाद इस्तीफा दे दिया। इन सभी सीटों पर हुए उपचुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, जिससे पार्टी की सीटें 65 तक सिमट गईं। सोमवार को हल्दिया की भाजपा विधायक तापसी मंडल ने पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया। यह भाजपा के लिए दोहरे झटके जैसा है, क्योंकि तापसी के पार्टी छोड़ने से विधानसभा में भाजपा की ताकत घटी, और दूसरी ओर, वे शुभेंदु अधिकारी के गढ़ की विधायक थीं। तृणमूल इसे शुभेंदु के प्रभाव क्षेत्र में बड़ी सेंध बता रही है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के अंदरूनी हालात अभी और खराब हो सकते हैं, क्योंकि कई विधायक बागी तेवर अपना चुके हैं। इनमें खासतौर पर उत्तर बंगाल, राढ़ बंग और मतुआ बहुल क्षेत्रों के विधायक शामिल हैं।

उत्तर बंगाल में भाजपा विधायक पार्टी से नाराज
उत्तर बंगाल में दार्जिलिंग जिले के कार्शियांग से विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा कई मौकों पर पार्टी के खिलाफ बयान दे चुके हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने पहाड़ी इलाकों को विशेष दर्जा देने का जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया। उन्होंने यहां तक कहा कि बंगाल से अलग कर पहाड़ के लिए नया राज्य बनाया जाना चाहिए। भाजपा इस मांग का समर्थन नहीं करती, जिससे विष्णु प्रसाद और पार्टी के बीच तनाव बना हुआ है। उन्होंने कई बार संकेत दिए हैं कि वे पार्टी छोड़ सकते हैं। हालांकि, तृणमूल भी इस मांग के खिलाफ है, इसलिए उनका अगला कदम स्पष्ट नहीं है।

उत्तर दिनाजपुर के विधायक सौमेन रॉय पर नजर
उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज के विधायक सौमेन रॉय भी भाजपा के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। 2021 में भाजपा से चुनाव जीतने के बाद वे तृणमूल में चले गए थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में लौट आए। हालांकि, पार्टी में इस बात को लेकर चर्चा बनी हुई है कि उनकी असली निष्ठा भाजपा के प्रति है या कूचबिहार के राजबंशी नेता अनंत महाराज के प्रति। भाजपा ने अनंत महाराज को राज्यसभा भेजकर उन्हें खुश करने की कोशिश की थी, लेकिन धीरे-धीरे वह भी पार्टी से दूरी बनाते जा रहे हैं।,

दक्षिण दिनाजपुर में भाजपा के अंदर खींचतान
राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के गृह जिले दक्षिण दिनाजपुर में भी पार्टी की स्थिति नाजुक बनी हुई है। हाल ही में पार्टी ने वहां नए मंडल अध्यक्ष नियुक्त किए हैं, लेकिन इससे एक विधायक नाराज हैं। उन्होंने खुलेआम आरोप लगाया कि अगले चुनाव में उन्हें हराने की साजिश रची जा रही है। इससे पहले भी उनके तृणमूल में जाने की अटकलें लगाई जा चुकी हैं, जिससे पार्टी के अंदर चिंता बढ़ गई है।

मतुआ बहुल इलाकों में तीन विधायकों की निष्ठा पर सवाल
राज्य के मतुआ बहुल क्षेत्रों, खासकर नदिया और उत्तर 24 परगना में, भाजपा के कई विधायकों का रुख पार्टी के लिए असमंजस भरा है। लोकसभा चुनाव से पहले तीन विधायकों को लेकर आशंका थी कि वे पार्टी छोड़ सकते हैं। उनमें से दो को लोकसभा टिकट देकर किसी तरह रोका गया, लेकिन वे चुनाव हार गए। एक अन्य विधायक ने तो अपने परिवार से भी संपर्क तोड़ लिया था, जिससे अटकलें लगने लगी थीं कि वे तृणमूल में शामिल होने वाले हैं। हालांकि, भाजपा ने एक वरिष्ठ नेता को भेजकर इस स्थिति को संभाला था।

राढ़ बंग के दो विधायक भी असंतुष्ट
राढ़ बंग क्षेत्र से भी दो भाजपा विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हैं। इनमें से एक हुगली-बांकुड़ा सीमावर्ती इलाके के विधायक हैं, जो पहले वाम दल से चुने गए थे। उन्होंने हाल ही में कहा कि "कोई भी पार्टी बुरी नहीं होती, बस कुछ लोग खराब हो सकते हैं।" उनकी यह टिप्पणी भाजपा के प्रति असंतोष को दर्शाती है। दूसरे विधायक दक्षिण-पश्चिम बंगाल से हैं और पार्टी के "प्रमुख चेहरों" में गिने जाते हैं। वे कई चुनावों में भाजपा के टिकट पर लड़े और जीते भी, लेकिन नेतृत्व से उनका रिश्ता अच्छा नहीं रहा। पार्टी के एक बड़े नेता से उनकी तनातनी जगजाहिर है। भाजपा अभी से 2026 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटना चाहती है, लेकिन तापसी मंडल के तृणमूल में जाने से उसे बड़ा झटका लगा है। इसके अलावा, पार्टी के आठ और विधायकों की स्थिति को लेकर असमंजस बना हुआ है। पार्टी नेतृत्व इन सभी पर कड़ी नजर बनाए हुए है, ताकि आगे कोई और झटका न लगे।

 

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