बजट पर चर्चा के दौरान योगी ने सपा पर बोला हमला

कहा- आप लोग भारत की आस्था के साथ करते हैं खिलवाड़ :योगी

बजट पर चर्चा के दौरान योगी ने सपा पर बोला हमला

  • आज यूपी देश में नंबर दो की अर्थव्यवस्था बन गया
  • यूपी विधान सभा में बोले सीएम योगी, महाकुंभ ने विरासत और विकास की नई गाथा लिखी
  • महाकुंभ में 33 करोड़ महिलाएं आईं पर एक भी अपराधिक घटना नहीं हुई
  • हमारी सोच सांप्रदायिक नहीं, जो हमारा है हमें मिल जाना चाहिए

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट पर चर्चा के दौरान अपना वक्तव्य रखते हुए मंगलवार को विधान सभा में कहा कि किसान, युवा, महिला और गरीब को समर्पित करते हुए वंचित को वरीयता के आधार पर यह बजट प्रस्तुत किया गया है। आज हम देश में नंबर दो की अर्थव्यवस्था बन गए हैं। पिछले साल की तुलना में करीब 10 फीसदी अधिक है। प्रदेश को मजबूती प्रदान करने वाला है। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर कटाक्ष भी किए। योगी ने सपा पर हमला करते हुए कहा कि आप भारत की आस्था के साथ खिलवाड़ करते हैं। आपने कहा कि हमारी सोच सांप्रदायिक है लेकिन आप हमें बताएं कि हम कैसे सांप्रदायिक हो सकते हैं?मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि अब तक 93 सदस्यों ने जिसमें 59 सत्ता और नेता प्रतिपक्ष समेत विपक्ष के 34 सदस्यों ने बजट की चर्चा में हिस्सा लिया। उन सबको मैं धन्यवाद देता हूं।

नेता प्रतिपक्ष ने दार्शनिक अंदाज में लोहिया के अनुयायी के रूप में वक्तव्य रखा। यह बात अलग है कि वह स्वयं डॉ. लोहिया के आदर्शों को अपना पाते हैं या नहीं। लोहिया ने कहा था कि सम्पत्ति और संतति से दूर रहें। उन्होंने कहा था कि भगवान राम, भगवान शंकर और भगवान कृष्ण देश के आदर्श हैं। आपकी पार्टी तो इन्हें मानती ही नहीं है। आपकी पार्टी के आचरण को देख कर समझा जा सकता है कि आप लोहिया के कितना अनुयायी हैं।योगी ने कहा कि आपने(नेता प्रतिपक्ष) कहा कि आपकी सोच साम्प्रदायिक है। आप बताएं हमारी सोच कहां साम्प्रदायिक है। हमारा नारा है सबका साथ सबका विकास। महाकुम्भ सम्पन्न हुआ है।

इस आयोजन में सब लोग साथ स्नान किए। सबके लिए समान व्यवस्था की गयी। संभल में 54 साल बाद शिवलिंग का अभिषेक हुआ। यह हमारी विरासत है। उसे खोजकर सामने लाना हमारा कर्तव्य है। हम तो वही चाहते हैं तो हमारा है। सपा के लिए यह कहात सही है पर उपदेश कुशल बहुतेरे।आप कानून व्यवस्था की चर्चा कर रहे थे। 66 करोड़ लोग कुंभ में आए। आधी आबादी तो महिलाओं की रही होगी। एक भी छेड़खानी, लूट, हत्या की घटना नहीं हुई जिससे भारत और सनातन धर्मावलंबियों को शर्मिंदा होना पड़े। बहुत से लोग आना चाहते थे। जो नहीं आ पाए उनके मन में कसक थी। जिसने डुबकी लगाई वह अभिभूत होकर गया। यह भारत की विरासत का एक ऐसा अनुपम उदाहरण है जिसे हम शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशी मीडिया बीबीसी, एक्सप्रेस ट्रीव्यून, द न्यूयार्क टाइम्स, रायटर्स, द गार्डियन, सीएनएन समेत पत्रकारिता जगत के अन्य बैनरों ने कुंभ के बारे अच्छी टिप्पणी की है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों और देश भर के कुछ राजनेताओं की कुंभ के बारे में सकारात्मक टिप्पणियों का उल्लेख किया। कुंभ के माध्यम से उत्तर प्रदेश अपनी सामर्थ्य देश के सामने और देश की सामर्थ्य को दुनिया के सामने रखने में सफल रहा। कुंभ पर साढ़े सात हजार करोड़ खर्च किया गया है। इससे मेला पर ही नहीं बल्कि पौराणिक नगर प्रयागराज का विकास भी हुआ है। मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर विकसित किए जा रहे कॉरीडोर का उल्लेख किया।नेता सदन ने अपने पिछले सभी बजटों के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि 2024 का बजट लोक मंगल को समर्पित रहा है। इस बजट को किसान, युवा, महिला और गरीब को समर्पित करते हुए वंचित को वरीयता के आधार यह बजट प्रस्तुत किया गया है। संकल्प पत्र में हमने जो घोषित किया था, उसे पूरा कर रहे हैं। 151 में से 38 घोषणाएं पूरी हो गयी हैं। 2027 तक सब पूरा कर देंगे। जनता को भी यह भरोसा है। इसीलिए 2027 में फिर से हम लोग आने वाले हैं।

सीएम योगी ने अपने हमले जारी रखते हुए कहा कि आप कहते हैं कि हमारी सोच सांप्रदायिक है, आप मुझे बताइए कि हमारी सोच कहां से सांप्रदायिक है। हम तो सबका साथ, सबके विकास की बात करते हैं। हमारा तो आदर्श है सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे सर्वे संतु निरामया। इसका सबसे आदर्श उदाहरण आपके सामने है महाकुम्भ। 45 दिन के इस आयोजन ने भारत की विरासत और विकास की एक अनुपम छाप न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के सामने प्रस्तुत की है। क्या उसमें किसी के साथ कोई भेदभाव हुआ है। न जाति का भेद, ना क्षेत्र का भेद, ना मत और मजहब का भेद था। 100 से अधिक देशों के लोग बड़ी श्रद्धा भाव के साथ आए। जो भी विकास और विरासत की इस अनुपम छटा का सहभागी बना वह अभिभूत होकर गया। एक पक्ष यह है जो आपके सामने उदाहरण के रूप में है।

प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता है, लेकिन दूसरा पक्ष वह भी था जब 26 फरवरी को संभल में 56 वर्षों के बाद शिव मंदिर में जलाभिषेक का कार्यक्रम हो रहा था। अकेले संभल में 67 तीर्थ थे और 19 कूप भी थे, जिनको एक निश्चित समय के अंदर समाप्त कर दिया गया। इन 67 तीर्थ में से 54 तीर्थ को ढूंढने का काम हमने किया है जो हमारी विरासत का हिस्सा हैं। जो 19 कूप हैं उन्हें भी मुक्त कराया गया है। हमने यही कहा है की जो हमारा है वह हमें मिल जाना चाहिए। हम इससे इतर कहीं नहीं जा रहे हैं। सच कड़वा होता है और कड़वे सच को स्वीकार करने का सामर्थ्य भी होना चाहिए।

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