आरआई को अब ‘एआई-रेडी’अधिकारी बनना होगा: परिवहन आयुक्त
बोले, राष्ट्रीय आरआई सम्मेलन सड़क सुरक्षा मिशन में रणनीतिक हस्तक्षेप
- कहा, वर्तमान परिवहन प्रणाली अब डाटा और एल्गोरिदम आधारित हो चुकी
- चैटबॉट, सीएससी नेटवर्क व फेसलेस सेवा से विभाग में पारदर्शिता बढ़ी
लखनऊ। लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय क्षेत्रीय निरीक्षक सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ने देशभर से आए क्षेत्रीय निरीक्षकों, विभिन्न राज्यों के परिवहन आयुक्तों ने कहा कि यह सम्मेलन केवल एक तकनीकी मंच नहीं, बल्कि भारत के सड़क सुरक्षा मिशन में एक रणनीतिक हस्तक्षेप है। परिवहन आयुक्त ने 50 फीसद सड़क दुर्घटना कमी लक्ष्य को प्रशासनिक नहीं, नैतिक अभियान बताया और कहा कि विजन 2030 के तहत राज्य में 5ए फ्रेमवर्क (एजुकेशन, एनफोर्समेंट, इंजीनियरिंग, इमरजेंसी) को मिशन मोड में लागू किया जा रहा है।
बोले कि वर्तमान परिवहन प्रणाली अब डाटा और एल्गोरिदम आधारित हो चुकी है। सारथी, वाहन, ई-चालान, आईआरएडी, वीएलटीडी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म आज नागरिक सेवा और प्रवर्तन का आधार बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि चैटबॉट, सीएसी नेटवर्क और फेसलेस सेवाओं से विभाग अभूतपूर्व पारदर्शिता ला रहा है।
इस दौरान आरआई के आॅल इंडिया फेडरेशन प्रेसीडेंट अशफाक अहमद बंगलुरू, जनरल सेके्रटरी संपत कुमार चेन्नई, सचिन कुमार एमवीआई नासिक महाराष्ट्र, संरक्षक रीजनल इंस्पेक्टर्स एसो. यूपी शिव शंकर सिंह, प्रेसीडेंट प्रशांत कुमार आरआई लखनऊ व जनरल सेके्रटरी हरिओम आरआई व विष्णु कुमार आरआई लखनऊ सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
जहां अधिकार, वहां जिम्मेदारी और जवाबदेही भी...!
परिवर्तन के दौर में आरआई की भूमिका को तकनीकी प्रहरी औरजनसेवक सेतु बताते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने कहा कि आप वे अधिकारी हैं जो तकनीक और जमीन की सच्चाई के बीच पुल बनाते हैं। आप न केवल ट्रायल, फिटनेस, प्रवर्तन की निगरानी करते हैं, बल्कि नीति निर्माण और सुधार में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
बताया कि भारत सरकार के मानकों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 250 से अधिक एडीटीसीज, 10 से अधिक आईडीटीआरएस, 75 डीटीसी, 16 डीटीटीआईज विकसित किए जा रहे हैं और हर जिले में तीन एटीएस की स्थापना का लक्ष्य है। भविष्य की दिशा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आरआई को अब एआई-रेडी, डाटा ड्रिवेन, एथिक्स सेंट्रिक अधिकारी बनना होगा। अंत में बोले कि जहां अधिकार होता है वहां जिम्मेदारी और जवाबदेही भी होती है। यदि किसी भी स्तर पर तकनीकी पद का दुरुपयोग, पक्षपात या अनैतिक व्यवहार सामने आता है, तो वह पूरे सिस्टम की वैधता को प्रभावित करता है।
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