विधायक अभय सिंह जानलेवा हमले के मामले में बरी
हाईकोर्ट ने कहा ठोस सबूत नहीं पेश किये गए
लखनऊ। हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी सपा के बागी विधायक अभय सिंह को जानलेवा हमले के मामले में बरी कर दिया है। जस्टिस राजन राय की एकल पीठ ने दोपहर 4:10 बजे अपना फैसला सुनाया। इससे पहले 17 फरवरी को इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।न्यायमूर्ति राजन राय ने अपने फैसले में कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा है। एफआईआर में घटना का सटीक समय और हमलावरों की संख्या को लेकर विरोधाभास मिला है।
उन्होंने कहा है कि उपयोग किए गए हथियारों का स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया था। पीड़ित विकास सिंह के बयान कई बार बदले गए, जिससे संदेह की स्थिति बनी। कोर्ट ने इन आधारों पर अभय सिंह और उनके साथियों को दोषमुक्त कर दिया। इस केस में पहले ही 20 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट के दो जजों ने अलग-अलग फैसले दिए थे। जस्टिस एआर मसूदी ने अभय सिंह समेत 5 आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई थी, जबकि जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने सभी को बरी कर दिया था। इस विरोधाभास के कारण मामला चीफ जस्टिस अरुण भंसाली की बेंच को सौंपा गया था।
दरअसल, 2010 में अयोध्या के महाराजगंज थाना क्षेत्र में विकास सिंह नामक व्यक्ति ने अभय सिंह और उनके साथियों पर गाड़ी पर फायरिंग करने का आरोप लगाया था। इस मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट ने 2023 में सबूतों के अभाव में अभय सिंह को बरी कर दिया था। पीड़ित विकास सिंह ने हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी, जिसके बाद यह मामला उलझता चला गया। अभय सिंह सिर्फ अपने केस को लेकर ही नहीं, बल्कि सियासी कारणों से भी सुर्खियों में हैं। फरवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को वोट देकर समाजवादी पार्टी से बगावत कर दी थी। माना जाता है कि बीजेपी से उनकी नजदीकियां बढ़ गई हैं, जिससे पार्टी में भी उनके खिलाफ नाराजगी देखी गई। यदि हाईकोर्ट का फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो उनकी विधायकी पर भी खतरा मंडरा सकता है।
वहीं, अगर उन्हें राहत मिलती है, तो 2027 के चुनाव से पहले बीजेपी में उनकी एंट्री के कयास तेज हो सकते हैं। अब निगाहें 4:10 बजे आने वाले फैसले पर टिकी हैं, जो उनके सियासी भविष्य की दिशा तय करेगा। अयोध्या के रहने वाले अभय सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। 2012 में पहली बार समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए। 2017 में हार के बाद 2022 में दोबारा जीत दर्ज की। वर्तमान में गोसाईंगंज सीट से सपा विधायक हैं, लेकिन बीजेपी के करीब माने जाते हैं।
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