एकलपीठ को नहीं था क्षेत्राधिकार, जेडीए चाहे तो संबंधित क्षेत्राधिकार वाले कोर्ट में पेश करे याचिका
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एकलपीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग को वकील की अनुपस्थिति के कारण खारिज किए मुकदमे की सुनवाई करने को कहा था। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश राजीव चतुर्वेदी की अपील पर दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा की एकलपीठ को मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं था। इसके साथ ही अदालत ने जेडीए को छूट दी है कि वह चाहे तो संबंधित क्षेत्राधिकार वाले कोर्ट में याचिका पेश कर सकता है। अपील में कहा गया कि आनंद विहार आवासीय योजना में भूमि समतल कर कब्जा नहीं सौंपने पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थी के पक्ष में फैसला दिया था। इस आदेश को जेडीए ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी। राष्ट्रीय आयोग ने वकील के पेश नहीं होने पर जेडीए की अपील को खारिज कर दिया। इस पर जेडीए ने सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश की, लेकिन अदालत से जेडीए को राहत नहीं मिली। वहीं जेडीए को ओर से अपील वापस लेने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी का निस्तारण कर दिया। इस पर जेडीए ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष याचिका दायर कर राष्ट्रीय आयोग के अपील खारिज करने के आदेश को चुनौती दी। जिस पर एकलपीठ ने आयोग के आदेश को रद्द कर दस हजार रुपये जमा कराने पर जेडीए की अपील पर सुनवाई करने को कहा। इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि एकलपीठ ने याचिका संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत पेश की गई थी, लेकिन एकलपीठ ने उसका निस्तारण अनुच्छेद 226 के तहत कर दिया, जो कि गलत है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने माना की एकलपीठ को सुनवाई का अधिकार नहीं था और एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया है।
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