मराठी पर गर्व करना गलत नहीं, लेकिन भाषा पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं
By Tarunmitra
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में मराठी भाषा पर गर्व करना गलत नहीं है। लेकिन अगर कोई भाषा के नाम पर गुंडागर्दी करता है, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर किसी के साथ भाषा के आधार पर कोई मारपीट करता है, तो इसे भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भाषा विवाद खड़ा किया तो कड़ी कानूनी कार्रवाई करेंगे
मुंबई। जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर एक गुजराती व्यक्ति को मराठी न बोलने को लेकर पीट दिया और घटना का वीडियो वायरल हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा, पुलिस ने इस घटना पर प्राथमिकी दर्ज की है और कार्रवाई भी की है। अगर भविष्य में कोई इस तरह का भाषा विवाद खड़ा करता है, तो उस पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हमें अपनी मराठी भाषा पर गर्व है, लेकिन भारत की किसी भी भाषा के साथ इस तरह का अन्याय नहीं किया जा सकता, यह बात हमें ध्यान में रखनी होगी।
अंग्रेजी को गले लगाते हैं, हिंदी पर विवाद खड़ा करते हैं
फडणवीस ने आगे कहा, कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि ये लोग अंग्रेजी को तो गले लगाते हैं, लेकिन हिंदी को लेकर विवाद खड़ा करते हैं। यह किस तरह की सोच है और यह किस तरह का व्यवहार है? इसलिए जो लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मराठी बोलने के लिए नहीं कर सकते जबरदस्ती
उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई मराठी व्यक्ति असम जाकर कारोबार करता है और उसे असम की भाषा नहीं आती, तो क्या उसकी पिटाई होनी चाहिए? उन्होंने कहा, अगर मराठी को लेकर अभिमान है, तो मराठी सिखाओ, क्लास शुरू करो। मराठी पर अभिमान है तो लोगों को मराठी बोलने के लिए प्रेरित करो। मराठी पर अभिमान है तो अपने बच्चों को मराठी पढ़ाओ, उन्हें ऐसे स्थानों पर क्यों पढाते हैं, जहां मराठी तीसरी भाषा है? हम लोगों से मराठी बोलने की अपील कर सकते हैं, लेकिन जबरदस्ती नहीं कर सकते। मुझे मराठी बोलना है तो बोलूंगा लेकिन अगर नहीं आती, तो क्या मारपीट करना ठीक है क्या?
शरद पवार ने कहा था जय महाराष्ट्र-जय कर्नाटक
फडणवीस ने आगे कहा, 'मैं याद दिलाना चाहता हूं कि जिस समय छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, उस समय शरद पवार ने 'जय महाराष्ट्र-जय कर्नाटक' कहा था। इसका मतलब यह होता है कि शरद पवार को कर्नाटक ज्यादा प्यारा है और महाराष्ट्र प्यारा नहीं है? हम लोग जहां जाते हैं, वहां के लोगों को जो अच्छा लगता है, हम बात करते हैं, सभी नेता करते हैं। अब गुजराती समाज में जाने के बाद 'जय महाराष्ट्र-जय गुजरात' कहा गया, तो मुझे लगता है कि इसमें इतना बवाल करने की जरूरत नहीं है।
बगल के राज्यों का नहीं किया जा सकता तिरस्कार
उन्होंने आगे कहा, हम एक भारत के लोग हैं। हम सारे लोग भारतीय हैं। हमको पहला अभिमान महाराष्ट्र पर होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे राज्यों के प्रति हमको कोई गुस्सा हो या उनके प्रति हमारा कोई तिरस्कार हो। पाकिस्तान के प्रति तिरस्कार समझा जा सकता है। पर बाजू के राज्यों के प्रति तिरस्कार तो नहीं हो सकता है ना। इसलिए मुझे लगता है कि कहीं भी इस वाकिये के माध्यम से शिंदे के महाराष्ट्र प्रेम पर अगर कोई प्रश्नचिह्न लगाता है तो बहुत संकुचित विचार वह रख रहा है।'
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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