चार दिन भारी बारिश का आरेंज अलर्ट, मंडी में लापता 31 लोगों की तलाश जारी
शिमला। हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर मौसम का कहर देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग ने राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में 5 जुलाई से 8 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश, तेज आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। इसे देखते हुए विभाग ने चार दिनों के लिए आरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके बाद 9 और 10 जुलाई को भारी बारिश का येलो अलर्ट रहेगा। मौसम विभाग के अनुसार मानसून की सक्रियता अगले कुछ दिनों में और बढ़ सकती है जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, पेड़ गिरने, नदियों का जलस्तर बढ़ने और यातायात अवरोध की आशंका है। लोगों को सावधानी बरतने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने संबंधित विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
हालांकि बीते 24 घंटों में बारिश की तीव्रता में थोड़ी कमी आई है, लेकिन कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। इस दौरान अघ्घर में सर्वाधिक 71 मिमी, घाघस में 38 मिमी, सराहन और शिमला में 36-36 मिमी, नगरोटा सूरियां और कंडाघाट में 31-31 मिमी, नेरी में 29 मिमी, करसोग में 27 मिमी, कांगड़ा में 22 मिमी और पालमपुर में 21 मिमी वर्षा दर्ज की गई।
इस बीच बारिश के कारण प्रदेश के कई इलाकों में जनजीवन अस्त -व्यस्त है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार सुबह तक प्रदेश में 280 सड़कें बंद, 332 ट्रांसफार्मर ठप और 700 से अधिक पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। इस मानसूनी सीजन में अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 37 लोग अभी भी लापता हैं।
सबसे ज्यादा तबाही मंडी जिला में हुई है, जहां 30 जून की रात को बादल फटने और तेज बारिश के चलते भारी नुकसान हुआ। यहां अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और 31 लोग अभी भी लापता हैं। मंडी जिले के सिराज विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार चौथे दिन लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं। जिले में अब भी 148 सड़कें बंद, 353 ट्रांसफार्मर ठप और 605 पेयजल योजनाएं बंद हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राहत और बचाव कार्यों को और तेज करने के निर्देश दिए हैं। उधर, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री आज मंडी के दौरे पर आ रहे हैं। वे वहां बाढ़ प्रभावित जल परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगे और परिवहन निगम के बाधित रूटों की समीक्षा करेंगे। साथ ही बाढ़ पीड़ितों से भी मुलाकात करेंगे।
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