दारोग़ा से लेकर डीएसपी तक के 80% बच्चे संजीव मुखिया के कृपा से बने डॉक्टर- इंजीनियर!

प्रेस से लेकर बैंक व सेंटर से लेकर सिपाही तक रहते हैं मैनेज , पहले से ही बुक हो जाते है कैंडिडेट

दारोग़ा से लेकर डीएसपी तक के 80% बच्चे संजीव मुखिया के कृपा से बने डॉक्टर- इंजीनियर!

निर्दलीय चुनाव लड़ते तो बन जाते विधायक, लक्ष्य है विधायक- सांसद बनना

सिंडिकेट के सभी को स्पीडी ट्रायल करा सजा दिलाना प्रथम प्राथमिकता- ईओयू 
 
रवीश कुमार मणि 
पटना ( अ सं  ) दो दिनों बाद देशभर में नीट का एग्ज़ाम होनेवाला है । बीते वर्ष नीट के एग्ज़ाम से लेकर रिज़ल्ट तक विवादों में रहा। नीट पेपर लीक का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, ईओयू से लेकर सीबीआई तक जांच कर रहीं है । डीजीपी विनय कुमार के निर्देश एवं ईओयू के एडीजी नैय्यर हसनैन खां के कार्यकुशलता से गठित ईओयू के स्पेशल टीम ने मास्टर माइंड संजीव मुखिया को नीट एग्ज़ाम 2025 के निर्धारित तिथि से एक सप्ताह पूर्व गिरफ्तार कर लिया गया । जहां यह बिहार पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी है वहीं प्रतिभावान व होनहार छात्रों के लिए वरदान साबित होगा । संजीव मुखिया ईओयू के रिमांड के बाद सीबीआई के चार दिनों के रिमांड तक है । 
 
संजीव मुखिया के कबूलनामे ने सुरक्षा व पारदर्शिता को जहां तौल कर रख दिया है वहीं भ्रष्टाचार के बल पर श्रेष्ठ बनने का बाजार ( मॉल ) खड़ा कर दिया । प्रतिभावान व होनहार बच्चों के खिलाफ ऐसी साजिश रचा गया की खुदकुशी करने पर मजबूर हो गये वहीं पूँजीपतियों के बिगड़ैल कमज़ोर बच्चे डॉक्टर- इंजीनियर/ अधिकारी बन गये । संजीव मुखिया के कबूलनामे ने चौंकाने वाला ख़ुलासा किया है । सुत्रों की मानें तो संजीव मुखिया ने 5 साल के अंदर पटना व नालंदा जिले में पदस्थापित दारोग़ा से लेकर डीएसपी तक के 80 % बच्चों को डॉक्टर/ इंजीनियर व पदाधिकारी बनाने का काम किया है । उसने अपने दिये बयान में यह दावा किया है की अगर बातों में दम नहीं है तो सामने क्वेश्चन पेपर रखकर पुनः एग्ज़ाम लें ले , सबकुछ स्पष्ट हो जायेगा । ऐसा नहीं है की हमने सिर्फ़ रूपए वाले को ही लाभ दिया है अपने क्षेत्र के 10 % कमजोर व ग़रीब के बच्चों को भी डॉक्टर/ इंजीनियर/ अधिकारी बनाने का काम किया है ताकि आगे वह वफादारी से मेरे लिए काम करें ।पटना व नालंदा जिले में पदस्थापित दारोग़ा व डीएसपी के बच्चों को रूपए लेकर एग्ज़ाम में पास कराने के पीछे मेरा मकसद होता है की वह हमें सूचनाएं व सुविधाएं देते है । संजीव मुखिया के ज़ुबान पर सैकड़ों दारोग़ा, इंस्पेक्टर, डीएसपी के नाम थे और गिना दिए की इनके बच्चे जो डॉक्टर, इंजीनियर, पदाधिकारी है मेरे ही कृपा के देन है । हालाँकि इसमें कितनी सच्चाई है वह जांच का विषय है । 
 
टॉप से लेकर मार्क्स तक का होता है खेल सब के सब रहते है फुल मैनेज 
संजीव मुखिया के कबूलनामे ने पुरे सिस्टम को हिला कर रख दिया है । या यह कहना ग़लत नहीं होगा की हमाम में सब नंगे है । बस रूपया मज़बूत और ईमान कमजोर होना चाहिए । नीट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षा में सफल कराने के लिए आगे सबकुछ मैनेज होता है । क्वेश्चन पेपर के छपाई से लेकर बैंक पहुंचने एवं इसके बाद एग्ज़ाम सेंटर तक जाने एवं सेंटर से लीक होने तक सब फिक्श रहता है । यह कहना गलत नहीं होगा की प्रेस से लेकर बैंक एवं सेंटर से लेकर सिपाही तक मैनेज रहता है । सब अपने को होशियारी से अंजाम देते है । एग्ज़ाम में टॉप करना है किसे कितना मार्क्स चाहिए, पहले से ही कैंडिडेट तय किए जाते है । रुपये एडवांस से लेकर बाक़ी रूपये के चेक ले लिए जाते है । एग्ज़ाम के 48 घंटे पहले परीक्षार्थी को कस्टडी में ले लिया जाता है , मोबाइल को भी जब्त कर लिया जाता है ताकि क्वेश्चन पेपर सिर्फ़ फिक्स्ड बच्चों तक ही रहें आगे लीक नहीं हो । इसके लिए हथियारबंद अपराधियों का भी मदद लिया जाता है और सैकड़ों बच्चों को एक बड़े हॉल में क़ैद कर अपराधियों के देखरेख में रखा जाता है । एग्ज़ाम सेंटर पर बच्चों पहुँचाने के बाद , परीक्षा ख़त्म होने के बाद मोबाइल को लौटा दिया जाता है । नीट एग्ज़ाम में सेटिंग वाले परीक्षार्थी 60 घंटे बाद संजीव मुखिया के क़ैद से आज़ाद होते हैं और जश्न मनाते है । 
 
निर्दलीय लड़ते तो आज विधायक रहते, पत्नी को विधायक- सांसद बनाना लक्ष्य 
संजीव मुखिया के मोबाइल से चौंकाने वाला ख़ुलासा हुआ है । 11 महीने तक जिस संजीव मुखिया को बिहार पुलिस, ईओयू व सीबीआई खोजती रही , फ़रार रहने पर 3 लाख का ईनाम घोषित किया वह संजीव मुखिया हरनौत ( नालंदा ) के समाजसेवियों व विश्वासी कार्यकर्ताओं से दिन - रात जुड़ा था । वर्ष 2020 , बीते विधानसभा चुनाव में संजीव मुखिया की पत्नी ममता देवी लोजपा ( आर ) से हरनौत से चुनाव लड़ी थी , क़रीब 14  हज़ार वोट से संतोष करना पड़ा था । संजीव मुखिया ने बयान में बताया है की उसके स्वजातीय लोगों ने साथ नहीं दिया । स्वजातीय बड़े आबादी वाले वोटरों ने कहां की निर्दलीय रहते तो हम ज़रूर वोट देते और जिताने का काम करते लेकिन नीतीश के खिलाफ किसी ग़ैर पार्टी को वोट नहीं दे सकते है । पत्नी को पहले विधायक फिर सांसद बनाने का लक्ष्य है जिसे हर हाल में पुरा करेंगे । मालूम हो की कुछ दिन पहले संजीव मुखिया की पत्नी आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हरनौत में कार्यालय खोल चुकी है और सक्रियता से मिलजुल रहीं है । 
 
स्पीडी ट्रायल करा सजा दिलाना ईओयू की प्रथम प्राथमिकता 
सुत्रों की मानें तो ईओयू संजीव मुखिया के पुरे सिंडिकेट को जल्द से जल्द सजा दिलाना चाहती है । इसके लिए स्पीडी ट्रायल की रणनीति बन रही है । ठोस सबूत और गुणवत्तापूर्ण केस डायरी हो इसके लिए स्पेशल टीम बनाया गया है । नये कानून के अनुसार अगर कोर्ट सजा सुनाती है तो दस साल का सजा संजीव मुखिया व इनसे जुड़े सिंडिकेट मेंबरों को होगी । संजीव मुखिया सिंडिकेट के क़रीब 26 आरोपी जेल में बंद है । संजीव मुखिया और सिंडिकेट के मेंबरों के ऊपर बिहार, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान , गुजरात आदि राज्यों में दर्जनों केस दर्ज है । इससे पहले जब संजीव मुखिया जेल गया था तो अल्प अवधि में भी जेल से छूट गया था ।इस बार संजीव मुखिया, तेज तर्रार एवं ईमानदार आईपीएस नैय्यर हसनैन खां के पाले पर गया है इसलिए बचना नामुमकिन नज़र आ रहा है । डीजीपी विनय कुमार का भी स्पष्ट संकेत है की स्पीडी ट्रायल चलाकर जल्द से जल्द सजा दिलाने का काम ईओयू करेगी । बिहार प्रतिभा का धनी है और परिश्रम के बल पर नाम रौशन करते रहा है और आगे भी रौशन करेगा । 

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