सोनिया ने जनगणना में देरी पर केंद्र सरकार को घेरा
कहा- 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित
- राज्यसभा में गूंजा घटिया दवाओं का मुद्दा
- प्रमोद तिवारी की मांग- कठोर दंड का हो प्रावधान
- पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम बोले- 'बजट के पीछे कोई दर्शन नहीं'
नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने आज राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान मौजूदा केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का हवाला देते हुए सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने का आग्रह किया। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने सदन में कहा कि जनगणना में देरी के कारण 14 करोड़ भारतीय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत अपने वाजिब लाभ से वंचित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं बल्कि मौलिक अधिकार है। उन्होंने जनगणना कराने में चार साल की देरी का जिक्र करते हुए चिंता जताई कि इस साल भी जनगणना होने की संभावना नहीं है।
कांग्रेस संसदीय दल की नेता ने कहा कि सितंबर 2013 में यूपीए सरकार का पेश किया गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम देश की 140 करोड़ आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल थी। इसने लाखों परिवारों को भुखमरी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर कोविड-19 संकट के दौरान। इस अधिनियम ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए आधार बनाया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ग्रामीण आबादी का 75 फीसदी और शहरी आबादी का 50 फीसदी सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के हकदार हैं।
दूसरी तरफ राज्यसभा में उपनेता विपक्ष प्रमोद तिवारी ने आज देश में घटिया दवाओं का मामला उठाया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार और सदन में मौजूद स्वास्थ्य मंत्री से मांग की कि वह देश में इस बारे में जागरुकता बढ़ाएं और दवाओं का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित कराएं। सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य प्रमोद तिवारी ने देश में जीवन रक्षक घटिया दवाओं से होने वाले नुकसान पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके कारण करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल आॅफ इंडिया की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश में बिक रही 50 से अधिक दवाएं घटिया स्तर की बन रही हैं। इनमें पैरासिटामोल से लेकर ब्लड प्रेशर, खांसी, मल्टी विटामिन और कैल्शियम आदि की दवाएं भी हैं। उन्होंने चिंता जतायी कि देश में घटिया और नकली दवाओं का जाल फैल रहा है।
उन्होंने कहा कि 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक छोटे दवा निमार्ताओं की 15 प्रतिशत से अधिक दवाइयां गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही हैं। छोटे दवा निर्माता ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस करते हैं। ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक उत्पादन की जा रही दवाओं में 12 से 25 प्रतिशत तक मिलावटी, घटिया या नकली हो सकती हैं। उपनेता विपक्ष तिवारी ने कहा कि जन स्वास्थ्य विधेयक के तहत 2023 में किए गए संशोधन में 27 डीएमएसक्यू के तहत मानक गुणवत्ता न होने पर कम्पाउंडिंग की अनुमति दी गई। इस प्रावधान के अनुसार निर्माता अब अपराध के बदले जुमार्ना भर सकते हैं। अगर सजा का प्रावधान हो तो शायद लोग बचें।
सरकार बेशक कहती है कि उपरोक्त संशोधन से निमार्ताओं का उत्पीड़न कम होगा जबकि आलोचकों का कहना है कि इससे दवाइयां गुणवत्ताहीन बन रही हैं। तिवारी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में 38 प्रतिशत घटिया दवाएं "प्रेस्क्राइब" की जा रही हैं। उन्होंने मांग की कि इसके लिए व्यापक जागरुकता अभियान चलाने के साथ ही दवा निर्माण के स्तर पर पर्याप्त गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि 2015 से यह धंधा ज्यादा बढ़ा है। कंपाउंडिंग के बाद इसमें और ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को राज्यसभा में बजट में टैक्स छूट का स्वागत करते हुए कहा कि अगर जीएसटी और पेट्रोल की कीमतों को कम करते थे, इसका सीधा फायदा मध्यम वर्ग के लोगों को होता।
सदन में कांग्रेस नेता चिदंबरम ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए भारत रत्न देने की मांग उठाई। बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि टैक्स छूट में ढाई करोड़ लोगों को फायदा होगा, लेकिन इसमें अमीर और सबसे अमीर लोगों को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा क इसके बाद अगर एक करोड़ लोगों को टैक्स से दायरे से बाहर कर दिया जाएगा तो वित्त मंत्री यह दावा कैसे कर रही हैं कि कर संग्रह 11 प्रतिशत बढ़ेगा? यह आंकड़ा पूरी तरह से जादुई आकंडा है। इस बजट के पीछे कोई दर्शन नहीं है। पी चिदंबरम ने विदेश मंत्रालय के कम होते बजट पर सवाल उठाया।
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