श्रावण मास : भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे उत्तम माह

श्रावण मास : भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे उत्तम माह

लखीमपुर खीरी। सनातन धर्म में श्रावण मास भगवान शिव का माह माना जाता है। यह माह आध्यात्मिक उत्थान, मनोकामना पूर्ति और शिव कृपा प्राप्ति का शुभ समय माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास 11 जुलाई दिन शुक्रवार से प्रारंभ होकर 9 अगस्त दिन‌ शनिवार तक रहेगा। यह श्रावण मास भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे उत्तम महीना माना गया है।

पंडित कमल किशोर मिश्र बताते हैं कि शास्त्रों में वर्णित है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए यह समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला धार्मिक कार्य एक वैदिक यज्ञ है जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है। इसे चौमासा भी कहा जाता है। तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव माने जाते हैं। भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय है। सावन में सच्ची श्रद्धा के साथ शिव पूजन से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। शिव भक्त सावन में कावड़ लेकर आते हैं और गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करते हैं। इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

श्रावण मास : भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे उत्तम माह

लखीमपुर खीरी। सनातन धर्म में श्रावण मास भगवान शिव का माह माना जाता है। यह माह आध्यात्मिक उत्थान, मनोकामना पूर्ति और शिव कृपा प्राप्ति का शुभ समय माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास 11 जुलाई दिन शुक्रवार से प्रारंभ होकर 9 अगस्त दिन‌ शनिवार तक रहेगा। यह श्रावण मास भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे उत्तम महीना माना गया है।

पंडित कमल किशोर मिश्र बताते हैं कि शास्त्रों में वर्णित है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए यह समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला धार्मिक कार्य एक वैदिक यज्ञ है जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है। इसे चौमासा भी कहा जाता है। तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव माने जाते हैं। भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय है। सावन में सच्ची श्रद्धा के साथ शिव पूजन से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। शिव भक्त सावन में कावड़ लेकर आते हैं और गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करते हैं। इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

About The Author

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां

Latest News

उन्नत टूल किट्स वितरण कार्यक्रम का हुआ आयोजन उन्नत टूल किट्स वितरण कार्यक्रम का हुआ आयोजन
उन्नत टूल किट्स वितरण कार्यक्रम का हुआ आयोजन50 हस्तशिल्पियों को उन्नत टूलकिट वितरित   सिद्धार्थ नगर आज के यांत्रिक युग में...
भाजपा अपने वादों पर नहीं उतर पाई: शिवपाल सिंह यादव
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सदर विधायक से की मुलाकात
अब भोपाल होगा भिक्षावृत्ति मुक्त, गठित आठ दल करेंगे शहर का भ्रमण
मंत्री ने दिव्यांगजनों के बीच किया मोटर युक्त बैट्री चालित ट्राई साइकिल का वितरण
पति से कहासुनी के बाद पत्नी ने फांसी लगाकर दी जान
बिहार के मोतिहारी में प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर हुई तैयारी बैठक