‘ग्राम स्वराज-अंत्योदय’ की कल्पना से दूर मुख्यालय के नजदीकी गांव

‘ग्राम स्वराज-अंत्योदय’ की कल्पना से दूर मुख्यालय के नजदीकी गांव

नैनीताल। स्वतंत्रता के 78 वर्षों बाद भी विश्वविख्यात पर्यटनगरी, जिला व मंडल मुख्यालय नैनीताल से जुड़े गांवों की दुर्दशा प्रश्न उठाती दिखती है कि क्या विकास की रोशनी वास्तव में हर कोने तक कितनी पहुंची है। ग्रामीणों की पीड़ा और संघर्ष आज भी विकास और अंत्योदय की हकीकत पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है कि ग्राम स्वराज की कल्पना कब तक साकार हो सकेगी और ‘दीपक तले अंधेरा’ कब तक रहेगा।

नैनीताल जनपद मुख्यालय से मात्र 20 से 22 किमी की दूरी पर स्थित रोखड़ गांव का मार्ग आपदा के कारण दो सप्ताह से बंद होने के कारण ग्रामीण आपदा के साथ ही शासन-प्रशासन की अनदेखी का भी दंश झेल रहे हैं। बताया गया है कि भोटिया पड़ाव के पास जलालगांव से आगे दो स्थानों पर भूस्खलन के कारण सड़क ढह गई है और मलबा जमा हो जाने से संपर्क मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध है। परिणामस्वरूप ग्रामीणों को पांच से छह किमी की पैदल दूरी तय कर बाहर निकलना पड़ रहा है।

ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव में सड़क पहले से ही कच्ची और अस्थायी है, जो वर्षा के मौसम में बार-बार बाधित हो जाती है। इस बार मार्ग बीते 13 दिनों से पूरी तरह बंद है। इस कारण गांव के किसान अपनी उपज नैनीताल या कालाढूंगी की मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। रोखड़ के कृषक राम सिंह ने बताया कि गांव में संचार की सुविधा भी नहीं है। गांव में मोबाइल टावर न होने से ऊपरी क्षेत्र में कुछ स्थानों पर सीमित नेटवर्क मिलता है, लेकिन निचले हिस्सों में संपर्क पूरी तरह बाधित है।

इससे ग्रामीण किसी आपातकालीन स्थिति में भी प्रशासन तक अपनी बात नहीं पहुंचा पा रहे हैं। संचार सुविधाओं के अभाव में बच्चे आनलाइन शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से वंचित हैं। ऐसे में सीमित संसाधनों के बावजूद अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाई के लिए गांव से बाहर भेजना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और जन प्रतिनिधियों ने उनकी कोई सुध नहीं ली है, जिससे वे स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और गांव से पलायन करने को विवश हैं।

अधिक नजदीकी गांवों में भी स्थिति बदतर

नैनीताल। नैनीताल जनपद के मुख्यालय से मात्र 9 किलोमीटर दूर नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बल्दियाखान से लगे बेलुवाखान ग्रामसभा के सौलिया, कूड़ सहित दर्जनभर गांव आज भी मोटर मार्ग से वंचित हैं। इन गांवों के लोगों को मुख्यालय आने के लिये लगभग 4 किलोमीटर लंबी पथरीली पगडंडी और नदी-नालों को पार कर करना पड़ता है। खासकर बीमार बुजुर्ग, गर्भवती महिला या आपातकालीन स्थिति में किसी व्यक्ति को चिकित्सालय ले जाना होता है, तो उन्हें संकरी पगडंडियों पर केवल 1-1 व्यक्ति द्वारा ढोयी जाने वाली डोलियों से सड़क तक लाना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त बच्चों को विद्यालय भेजना, फल-सब्जियां या दुग्ध उत्पाद मंडी तक पहुँचाना और आपूर्ति सामग्री लाना ग्रामीणों के लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है। बुनियादी सुविधाओं से वंचित इन गांवों में विद्युत आपूर्ति भी अनियमित रहती है, और पेयजल की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। ग्रामीणों ने वर्षों से स्थायी मोटर मार्ग की माँग की है और इस संबंध में शासन को कई बार प्रत्यावेदन भी दिए हैं। हाल ही में ग्रामीणों ने इन समस्याओं से त्रस्त होकर पंचायत चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की थी, लेकिन अधिकारियों ने गांव पहुँचकर आश्वासन देकर किसी तरह उन्हें मना लिया है, लेकिन स्थितियां कब सुधरेंगी कहा नहीं जा सकता है।

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