कार्टूनिस्ट की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
आरएसएस और प्रधानमंत्री पर बनाए थे विवादित कार्टून
नई दिल्ली। आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित कार्टून साझा करने वाले कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। उनकी याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई होगी। इससे पहले मंगलवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हेमंत की याचिका खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हेमंत मालवीय द्वारा दायर याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की। मालवीय की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मामला एक कार्टून से संबंधित है, जिसे मालवीय ने 2021 में कोविड के दौरान बनाया था और उच्च न्यायालय ने कहा कि अर्नेश कुमार और इमरान प्रतापगढ़ी जैसे ऐतिहासिक मामलों, जो जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित थे, का पालन नहीं किया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने कार्टूनिस्ट की निंदा की है। ग्रोवर ने कहा कि यह अपराध बीएनएस के अंतर्गत आता है, जिसके लिए अधिकतम तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है। इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने हाल ही में आरएसएस और पीएम मोदी को लेकर विवादित कार्टून बनाए थे। अधिवक्ता और आरएसएस के स्वयंसेवक विनय जोशी ने हेमंत मालवीय के खिलाफ शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि उन्होंने फेसबुक पर हेमंत मालवीय की प्रोफाइल देखी, जहां यह कार्टून पोस्ट किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सामग्री जानबूझकर आरएसएस और हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से साझा की गई है।
साथ ही प्रधानमंत्री और भगवान शिव पर की गई टिप्पणियों को समाज में तनाव फैलाने वाला बताया। विवादित कार्टून में आरएसएस को उसकी पारंपरिक वर्दी (खाकी हाफ पैंट और सफेद शर्ट) में मानव रूप में दशार्या गया था, जो झुककर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने खड़ा है। पीएम मोदी को स्टेथोस्कोप और इंजेक्शन के साथ दिखाया गया, जो वह आरएसएस के पीछे लगा रहे हैं। इसके साथ ही भगवान शिव पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी जोड़कर पोस्ट को अधिक अपमानजनक बना दिया गया था।
शिकायत के बाद हेमंत मालवीय ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अग्रिम याचिका दायर की थी। मालवीय की ओर से अदालत में यह तर्क दिया गया कि उन्होंने यह कार्टून महज हास्य-व्यंग्य के उद्देश्य से अपने फेसबुक पेज पर साझा किया था। मंगलवार को जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने मालवीय की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। पीठ ने माना कि यह मामला "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" की सीमाएं लांघता है और आरोपी की पुलिस कस्टडी में पूछताछ जरूरी है।
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