कुमारस्वामी ने पीएम ई-ड्राइव के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू की

प्रधानमंत्री के हरित गतिशीलता विजन के तहत भारत ने पहली बार ई-ट्रक प्रोत्साहन योजना शुरू की

कुमारस्वामी ने पीएम ई-ड्राइव के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू की

नई दिल्ली। केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) को प्रोत्साहित करने की योजना का आधिकारिक तौर पर शुभारंभ किया।

भारी उद्योग मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि यह पहली बार है कि केंद्र सरकार ने देश को स्वच्छ और टिकाऊ माल ढुलाई गतिशीलता में परिवर्तन में मदद करने के लिए इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए समर्थन योजना शुरू की गई है। यह योजना प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक ट्रक के सकल वाहन भार पर निर्भर करेगा और अधिकतम 9.6 लाख रुपये का प्रोत्साहन प्राप्त किया जा सकता है।

मंत्रालय के मुताबिक ये प्रोत्साहन खरीद मूल्य में एकमुश्त कटौती के रूप में प्रदान किए जाएंगे और पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के माध्यम से ओईएम को प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसका उद्देश्य देश में स्वच्छ, कुशल और टिकाऊ माल ढुलाई गतिशीलता में तेजी लाना है। नई शुरू की गई इस योजना वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने और 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करने के लिए एक रणनीतिक कदम है।

भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय मोटर वाहन नियमों (सीएमवीआर) के तहत परिभाषित एन2 और एन3 श्रेणी के इलेक्ट्रिक ट्रकों पर भी मांग प्रोत्साहन योजना लागू होंगे। एन2 श्रेणी में सकल वाहन वाले ट्रक शामिल हैं, प्रोत्साहन केवल एन3 श्रेणी के पुलर ट्रैकर्स पर ही लागू होंगे। इसके तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, निर्माता एक व्यापक निर्माता-समर्थित वारंटी प्रदान करेंगे। इसमें पांच साल या 5 लाख किलोमीटर की वारंटी शामिल होगी, जबकि वाहनों और मोटरों के लिए वारंटी पांच साल या 2.5 लाख किलोमीटर, जो भी पहले होगी।

उल्‍लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 सितंबर 2024 को देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना को अपनी मंज़ूरी दे दी थी। इस योजना का दो वर्षों की अवधि में वित्तीय परिव्यय 10,900 करोड़ रुपये है।

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