एम्स में आरक्षण घोटाला, ओबीसी की सीट पर अनारक्षित भर्ती!

आरक्षण छीनने का सुनियोजित षड़यंत्र

एम्स में आरक्षण घोटाला, ओबीसी की सीट पर अनारक्षित भर्ती!

  • जन आरक्षण के नियमों के अनुपालन के लिए संविधान बचाओ ट्रस्ट ने एम्स 

रायबरेली । रायबरेली के 2020 में निकले विज्ञापन को आधार बना कर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके उपरांत सभी नए एम्सों में नए सिरे से आरक्षण रोस्टर बनाने के लिए नए नियम बनाये गए थे। ईडी राजवंशी और डीन नीरज कुमारी फिर अपनी भ्रष्टाचारी मानसिकता के चलते उन्ही नियमों की अवहेलना कर के अरक्षित अभ्यर्थियों का हक छीनने पर तुले हुए हैं। एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत डीन नीरज कुमारी एवं ईडी डॉ. राजवंशी क्लीनिकल विभागों की सीटों को अनारक्षित वर्ग के लिए रखना चाहते तथा अरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को ज्यादा से ज्यादा प्री अथवा पैराक्लिनिकल विभागों तक ही सीमित रखना चाहते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. सुनीता सिह, डॉ. मुकुल शर्मा एवं डॉ. कुशल सिह, जिनके अनुभव एवं आवेदन फॉर्म की गड़बड़ी को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय से जांच की मांग की गयी थी, तीनों ही चिकित्सक अनारक्षित श्रेणी में आते हैं।

डाउनग्रेडेड का भी नहीं किया उल्लेख
दस अभ्यर्थियों ने एडिशनल प्रोफेसर के वांछित अनुभव न होने के कारण एडिशनल प्रोफेसर की सीट को डाउनग्रेड करके असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आवेदन किया था। उनके नाम के आगे साफ तौर पर लिख दिया गया था कि असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पात्र। सभी डाउनग्रेडेड पद के अभ्यर्थियों के नाम के आगे विशेष टिप्पणी की गयी तो डॉ. अंजली के नाम के आगे क्यूं नहीं की गयी, जबकि सबसे बड़ा परिवर्तन सिर्फ इन्ही के अभ्यर्थन में हुआ था।

डीन नीरज कुमारी इस बात से अच्छी तरह अवगत थी की इतनी छोटी से बात पर किसी का ध्यान नहीं जायेगा और इसीलिए उन्होंने चार दिन के अन्दर ही साक्षात्कार की तारीख भी तय करा दी, ताकि जल्दी से जल्दी साक्षात्कार संपन्न कराकर परिणाम घोषित कर दिए जाए। एक बार अभ्यर्थी के ज्वाइन कर लेने के बाद उनके द्बारा की गयी इस धोखाधड़ी का हर बार की तरह किसी को पता नहीं चलेगा। परिणाम से पहले ही पोल खुल गई, इसलिए शायद अब आरक्षित वर्ग का हक नहीं मारा जा सकेगा।

एसटी की सीट भी कर दी अनारक्षित
एम्स में इससे पहले भी अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए संवैधानिक आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया गया है। आरक्षित वर्ग की सीटों में निजी स्वार्थ के लिए कैसे हेर-फेर किया जाता है। दूसरा उदाहरण है सीटीवीएस के एडिशनल प्रोफेसर की सीट जो कि जनवरी 2024 के विज्ञापन में अनुसूचित जनजाति (एसटी) में थी, वही सीट अगस्त 2024 में अनारक्षित वर्ग में डाल दी गयी ताकि डॉ. संकल्प राही जो नए एएमएस डॉ. नीरज कुमार श्रीवास्तव के खासमखास बताये जाते हैं, उनको आवेदन करने का मौका मिल सके। यह वही डॉ. संकल्प हैं जिनसे कम ऑपरेशन करने के लिए थोड़े समय पहले स्पष्टीकरण मांगा गया था, अगर वह पदोन्नत कर दिए जाते हैं तो सोचिए उनके विभाग की क्या हालत होगी?

डीन पर ईडी का अंधा अविश्वास बनेगा गले की फांस
दोनों ही पात्रता सूचियों पर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. अरविन्द राजवंशी ने डिजीटल हस्ताक्षर किए हैं। जिनको इस चीज का भी भान नहीं होता की इतने बड़े पद पर होते हुए भी वह जिस कागज पर हस्ताक्षर कर रहे हैं उसकी एक बार समीक्षा तो कर लेनी चाहिए। इसी का फायदा उठाकर डीन नीरज कुमारी मनमाने फैसलें कराए हैं। ईडी का यही अंधा भरोसा आज उनके गले पर आरक्षण के उल्लंघन की तलवार बन कर लटक गया है।

एम्स प्रबंधन सिर्फ इसे लिपिकीय त्रुटि बता कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता क्यूंकि जब 126 अभ्यर्थियों की अस्थायी एवं स्थायी पात्रता सूची एक समान है और सिर्फ एक ही अभ्यर्थी के आवेदन को अगर सुधारना था तो वह भी पूर्ण रूप से क्यूं नहीं किया गया? शायद इसीलिए महीनों आवेदन की तारीख बढ़ाई गई और चार दिन में साक्षात्कार करा दिया गया।

डीन के करीबी डॉक्टर की पत्नी का है मामला
बता दें कि डॉ. अंजली अग्रवाल एम्स में ही काम कर रहे डॉ. आशीष जैन की पत्नी हैं। डॉ. अंजली ने एम्स में सीनियर रेजिडेंट के पद पर भी आवेदन किया था पर वह सीट भी ओबीसी में अरक्षित होने के कारण वह तब भी अपात्र घोषित की गयी थी। डॉ. आशीष जैन, डीन नीरज कुमारी के काफी करीबी माने जाते हैं तथा आए दिन मरीजों से भरी ओपीडी को छोड़कर डीन मैडम के कमरे के चक्कर लगाते पाए जाते हैं। सूत्रों की माने तो डीन मैडम ने अपने चहेते पर मेहरबानी और प्रलोभन के चक्कर में आरक्षण के नियमों को भी दांव पर लगा दिया।

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