पत्रकार अपनी सीमा का अतिक्रमण न करें: आशुतोष शुक्ल
पत्रकार एक साधक,एक योद्धा व एक सन्यासी है
लखनऊ। विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ और लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती के उपलक्ष्य में शनिवार को लविवि के मालवीय सभागार में लोक मंगल की पत्रकारिता एवं राष्ट्रधर्म विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में नारद जयंती समारोह को संबोधित करते हुए दैनिक जागरण उत्तर प्रदेश के समूह संपादक आशुतोष शुक्ल ने कहा कि पत्रकारिता मिशन थी आज भी है और आगे भी रहेगी। वर्तमान समय में आकर्षण पत्रकारिता को चौपट कर रहा है। वहीं सोशल मीडिया पत्रकारों को आलसी बना रही है। उन्होंने कहा कि देशहित सबसे बड़ा है। हम देश से बड़े नहीं हैं। इसलिए पत्रकार अपनी सीमा का अतिक्रमण न करें। पत्रकार को तटस्थ, निर्भीक व अध्ययनशील होना चाहिए। शिक्षक, चिकित्सक व पत्रकार को समाज में प्रचुर मात्रा में सम्मान मिलता है। बशर्ते वह ईमानदारी व समर्पण से काम करता हो।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि टाइम्स आफ इण्डिया के स्थानीय संपादक प्रवीण कुमार ने कहा कि देवर्षि नारद के संचार का उद्देश्य जन कल्याण था। भारत में पत्रकारिता की शुरूआत एक मिशन के रूप में हुई थी। जनसरोकार इसमें प्रमुख विषय रहा। जिस दिन पत्रकारिता का जन सरोकार से नाता नहीं रहेगा उस दिन जनता उसे नकार देगी। प्रवीण कुमार ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मीडिया का अहम योगदान है। सामाजिक समरसता व न्याय दिलवाने में मीडिया की प्रमुख भूमिका है। मीडिया जनसरोकार व लोकमंगल को दरकिनार नहीं कर सकती।
पत्रकार एक साधक,एक योद्धा व एक सन्यासी हैविषय प्रवर्तन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष ने कहा कि लोकमंगल भारत का मूल विषय है। पत्रकारिता व्यवसाय नहीं मिशन है। भारत की मनीषा कहती है शील ही संदेश है। अपने चरित्र से शिक्षा देने का काम काम करो। उन्होंने कहा कि पत्रकार एक साधक,एक योद्धा व एक सन्यासी है। लाला जगत नरायन ने पंजाब केशरी के माध्यम से भारत व भारतीयता को मजबूत करने का काम किया। आपातकाल के समय जब लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा था ऐसे समय में रामनाथ गोयनका जनता की आवाज बनकर सामने आये। वहीं कल्याण के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार के योगदान को विस्मरण नहीं किया जा सकता। सुभाष ने कहा कि नारद विदूषक या चुगलखोर नहीं हैं। इसके लिए देवर्षि नारद को जानना पड़ेगा। पत्रकारों के प्रति समाज विश्वास रखता है। इसलिए पत्रकारों को अपना काम निष्ठा के साथ करना चाहिए।
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों ने डा. सौरभ मालवीय की पुस्तक भारतीय पत्रकारिता के स्वर्णिम हस्ताक्षर का लोकार्पण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचार प्रमुख डा. अशोक दुबे ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत, प्रान्त प्रचारक प्रमुख यशोदानन्द,विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष नरेन्द्र भदौरिया,क्षेत्र के मुख्य मार्ग सम्पर्क प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना,विशेष सम्पर्क प्रमुख प्रशान्त भाटिया, राष्ट्रधर्म पत्रिका के प्रभारी निदेशक सर्वेशचन्द्र द्विवेदी,सह प्रान्त सम्पर्क प्रमुख डा.हरनाम सिंह, सह प्रान्त प्रचार प्रमुख डा. लोकनाथ,विभाग प्रचारक अनिल, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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