मुख कैंसर की रोकथाम व पहचान की दी गई जानकारी
लोहिया संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन दिवस मना
लखनऊ। लोहिया संस्थान में डेंटिस्ट्री विभाग ने मुख कैंसर की रोकथाम और प्रारंभिक पहचान के लिए जांच एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें बताया गया कि कि वे संभावित संदेहास्पद मुख घावों की स्वयं जांच कैसे करें और ऐसे मामलों में मैक्सिलोफेशियल सर्जन से कब संपर्क करें।
कार्यक्रम में डॉ. गौरव सिंह, हेड ऑफ डिपार्टमेंट, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने मरीजों को मुख कैंसर के विभिन्न लक्षणों के बारे में जागरूक किया। प्रोफेसर शैली महाजन ने बताया कि तंबाकू मुख कैंसर का प्रमुख कारण है और डेंटिस्ट्री विभाग इसे समाप्त करने के लिए विभिन्न रोगी जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
डीन प्रोफेसर प्रद्युम्न सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में मुख कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है और इस बुरी आदत को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। सीएमएस प्रोफेसर ए.के. सिंह ने डेंटिस्ट और ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जनों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि वे इन रोगों का प्रारंभिक चरण में ही पता लगाने में सहायक होते हैं।
डॉ. पद्मनिधि अग्रवाल (एसोसिएट प्रोफेसर) ने मुख कैंसर के पूर्व-लक्षणों और उनके प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। डॉ. अखिलेश पांडेय (असिस्टेंट प्रोफेसर) ने यह समझाया कि मरीज स्वयं अपने मुख की जांच कैसे कर सकते हैं, ताकि बीमारी का जल्द से जल्द पता चल सके। डॉ. श्वेता मेहता (असिस्टेंट प्रोफेसर) ने बताया कि प्रारंभिक पहचान से कई जीवन बचाए जा सकते हैं।
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