निजीकरण का विफल प्रयोग उप्र पर न थोपा जाये
लखनऊ। पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ आशीष गोयल और शीर्ष प्रबन्धन के साथ सोमवार को हुई लम्बी वार्ता में संघर्ष समिति ने एक घण्टे से अधिक के पीपीटी प्रेजेन्टेशन द्वारा यह बताया कि निजीकरण का प्रयोग आगरा,ग्रेटर नोएडा और उड़ीसा में पूरी तरफ विफल हो चुका है। अतः निजीकरण के इस विफल प्रयोग को उप्र की गरीब जनता पर न थोपा जाये।
संघर्ष समिति ने कहा कि 06 अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ हुए समझौते का पालन करते हुए बिजली कर्मियों को विश्वास में लेकर विद्युत वितरण निगमों की मौजूदा व्यवस्था में ही सुधार कार्यक्रम चलाये जायें। इस के लिए संघर्ष समिति ने वित्त मंत्री के सामने रखे गये सुधार प्रस्ताव को प्रबन्धन को देते हुए कहा कि निजीकरण का निर्णय वापस लेकर इस प्रस्ताव पर प्रबन्धन को तत्काल आगे वार्ता शुरू करनी चाहिए।
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि वार्ता का समुचित वातावरण बनाने के लिए आन्दोलन के कारण की गयी समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां तत्काल वापस ली जायें। समिति ने कहा कि वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने वार्ता के दौरान संघर्ष समिति द्वारा दिये गये सुधार प्रस्ताव की सराहना करते हुए यह निर्देश दिया था कि संघर्ष समिति के साथ प्रस्ताव पर वार्ता कर सुधार के लिए उनका सहयोग लिया जाये।
मुख्य सचिव आर के तिवारी ने भी संघर्ष समिति के प्रस्ताव की प्रशंसा की थी। अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है कि आज तक उसके बाद एक बार भी सुधार प्र्रस्ताव पर वार्ता नहीं की गयी और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का एकतरफा निर्णय थोप दिया गया जो बिजली कर्मियों को कदापि स्वीकार नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रबन्धन सुधार प्र्रस्ताव पर बिजली कर्मियों का सहयोग लेकर सुधार करें और निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाये।
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