बौद्ध पर्यटन में यूपी की बड़ी छलांग, बढ़ी विदेशी पर्यटकों की संख्या
थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, श्रीलंका, भूटान, जापान, लाओ पीडीआर, कंबोडिया, सिंगापुर व इंडोनेशिया की बढ़ी दिलचस्पी
लखनऊ। प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। प्रदेश बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में भी उभर कर सामने आया है। वर्ष 2024 में प्रदेश में लगभग 65 करोड़ पर्यटक पहुंचे, जिनमें से 61,47,826 श्रद्धालु भगवान बुद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों पर आए। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न बौद्ध स्थलों पर आने वालों में 3,53,461 विदेशी पर्यटक और 57,94,365 भारतीय शामिल हैं। उन्होंने कहा, यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से बौद्ध परिपथ (बौद्ध सर्किट), वैश्विक धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा बौद्ध स्थलों के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों का यह सकारात्मक परिणाम है। साल 2024 में बौद्ध स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 24,74,460 श्रद्धालु कौशांबी पहुंचे। इसके बाद कुशीनगर में 22,42,913, सारनाथ में 11,80,157, श्रावस्ती में 1,27,222, कपिलवस्तु में 79,418 और संकिसा (फरुर्खाबाद) में 43,656 श्रद्धालु दर्शन के लिए आए।
आगे बताया कि वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटन में पहले स्थान पर है। विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, बौद्ध धर्म का मूल उत्तर प्रदेश में ही है। तथागत बुद्ध से जुड़े अधिकांश स्थल यहां मौजूद हैं, जिससे यह प्रदेश बौद्ध अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। बुद्धिस्ट सर्किट इसके प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रहा है।
प्रदेश पर्यटन विभाग ने थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, श्रीलंका, भूटान, जापान, लाओ पीडीआर, कंबोडिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे बौद्ध बहुल देशों के टूर ऑपरेटरों, भिक्षुओं और मीडिया प्रतिनिधियों के लिए विशेष फैम ट्रिप (फैमिलियराइजेशन ट्रिप) का आयोजन किया। इन यात्राओं के माध्यम से प्रदेश में स्थित बौद्ध स्थलों, उनसे जुड़े सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया गया।
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