सीएम के गृह क्षेत्र को भी पार कर गया ‘जानलेवा डग्गामार’!

बुधवार तड़के पांच बजे के करीब लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर हुआ दर्दनाक सड़क हादसा

सीएम के गृह क्षेत्र को भी पार कर गया ‘जानलेवा डग्गामार’!

रवि गुप्ता

  • बिहार के सीतामढ़ी से लगभग 70 सवारियों को लेकर डबल डेकर बस जा रही थी दिल्ली
  • उन्नाव से 50 किमी दूर 247 किमी प्वाइंट के पास डबल डेकर बस, दूध कंटेनर को चीरती हुई निकली
  • चालक को आई झपकी, बस हुई अनियंत्रित और सीधे दूध कंटेनर में जा घुसी, 18 की मौत कई घायल
  • सीएम योगी ने जताया खेद सिस्टम को किया अलर्ट, पीएम मोदी ने भी एक्स पर प्रकट की शोक संवेदना
  • बिहार बॉर्डर से यूपी में कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ व उन्नाव से कैसे हुई पार डग्गामार
  • 81 बार हुआ डग्गामार डबल डेकर का चालान, फिटनेस खत्म, बीमा नहीं, फिर भी सड़कों पर भरती रही फर्राटा
  • सड़क हादसों का ब्लैक स्पॉट बनता जा रहा उन्नाव और आसपास का सड़क व एक्सप्रेव वे मार्ग, करें पड़ताल
लखनऊ। बुधवार तड़के पांच बजे का समय, स्थान लखनऊ-उन्नाव से तकरीबन 50 किमी दूर पार करते हुए आगरा एक्सप्रेसवे पर 247 किमी का प्वाइंट, जिस वक्त डबल डेकर में सवार तमाम यात्री गहरी नींद में थे...तभी कहीं चालक को एक हल्की सी झपकी आती है और फिर सड़क पर चारों तरफ चीख-पुकार का माहौल। यूपी के महोबा परिवहन कार्यालय में रजिस्टर्ड डबल डेकर बस संख्या यूपी95टी4720, तकरीबन 70 सवारियों को भरकर बिहार के सीतामढ़ी से यूपी के कई जनपदों को पार करते हुए लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे से सीधे दिल्ली को जा रही थी। परिवहन विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि बस चालक को झपकी आ गई और वो एक्सप्रेस वे पर उसी दिशा में जा रही दूध टैंकर को चीरती हुई निकल गई। इस वीभत्स सड़क हादसे में 18 लोगों की असमय जान गई जबकि डेढ़ दर्जन से अधिक घायल हो गये।
 
जानकारी के तहत उक्त डबल डेकर का संचालक राजस्थान से ताल्लुक रखता है, गाड़ी महोबा एआरटीओ कार्यालय में पंजीकृत है, इसका फिटनेस दो साल पहले खत्म हो गया, बीमा भी नहीं है और पूरी तरीके से यह पहले से ही ब्लैक लिस्टेड डग्गामार डबल डेकर बस बिहार से लेकर यूपी, दिल्ली और अन्य प्रदेशीय मार्गों पर फर्राटा भरती हुई संचालित हो रही थी। विभागीय पड़ताल में यह भी पता चला है कि अब तक इस डग्गामार बस का 81 बार चालान भी हो चुका है। वैसे बता दें कि अभी कुछ समय पहले यूपी के सदन कार्यकाल में जब विपक्ष के एक नेता ने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को प्रदेश में जहां-तहां चल रहे डग्गामार वाहनों की बात कही तो माननीय इस पर भड़क गये थे और जोर-शोर से कहा था कि सूबे में कहीं पर भी डग्गामार नहीं चल रही, यदि कुछ ऐसी बसें पकड़ी जाती हैं तो उनमें संचालन संबंधी कुछ प्रपत्रों की कमी हो सकती है।
 
मगर उन्नाव के इस दर्दनाक सड़क हादसे पर परिवहन मंत्री क्या कहेंगे, जबकि इससे पूर्व में भी उन्नाव और इसके आसपास का सड़क व एक्सप्रेस वे मार्ग एक तरह से कहीं न कहीं ‘सड़क हादसों का ब्लैक स्पॉट’ बनता जा रहा है। वहीं विभागीय जानकारों का तो यह भी मत है कि उक्त सड़क हादसा तब घटित होता है, जब परिवहन विभाग आठ जुलाई से लेकर 22 जुलाई तक सड़क सुरक्षा पखवाड़ा मना रहा है जिसमें परिवहन मंत्री से लेकर परिवहन आयुक्त द्वारा हर जिले और प्रत्येक संभागीय प्रवर्तन अधिकारियों को यह हिदायती दी गई है कि वो प्रवर्तन चेकिंग अभियान में तेजी लायें ताकि ऐसे सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
 
हालांकि अभी कहीं पर परिवहन मंत्री का यह भी बयान आया कि संबंधित अधिकारियों को शोकॉज नोटिस दिया जायेगा, और किसी अफसर की संलिप्तता पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई होगी तथा गाड़ी मालिक पर एफआईआर दर्ज होगी। बहरहाल, अब तो यह भी प्रश्न उठ रहा है कि आखिर उपरोक्त डबल डेकर बस किस तरह बिहार बॉर्डर से यूपी में देर रात इंट्री हुई और फिर पहले कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ और आखिर में उन्नाव पार करते हुए करीब 50 किमी आगे एक्सप्रेस वे तक कैसे आगे बढ़ गई।

वहीं विभाग में दबे जुबां यह चर्चा शुरू हुई तो लखनऊ जोन व लखनऊ संभाग में इस तथ्य को जुटाया जाने लगा कि एक दिन पहले दोपहर से लेकर बीती रात तक किस-किस प्रवर्तन अधिकारी व सिपाही ने कहां-कहां और कितनी संख्या में प्रवर्तन कार्य किये ताकि उक्त उन्नाव सड़क हादसे की परत को और खोल सके। इसी क्रम में परिवहन आयुक्त कार्यालय द्वारा उक्त हादसे की साइंटिफि जांच की मंशा से सेव लाइफ फाउंडेशन नई दिल्ली व पुलिस अधीक्षक, सीईओ यूपीडा आगरा एक्सप्रेस वे, सीएमओ, एआरटीओ प्रवर्तन व आरआई को दुर्घटना में लिप्त बस का बॉडी कोड एआईएस 119 के आधार पर जांच के निर्देश दिये हैं। साथ ही इस हादसे की जांच के लिये विभागीय स्तर पर डीटीसी लखनऊ जोन, आरटीओ प्रवर्तन व आरआई उन्नाव को सभी पहलुओं की गहनता से जांच के निर्देश दिये गये हैं।
 
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ट्रांसफर पॉलिसी खत्म, रिलीव नहीं, कैसे पूरा हो सड़क सुरक्षा पखवाड़ा!

गौर हो कि हर साल प्रदेश सरकार जो भी ट्रांसफर पॉलिसी लाती और लागू करती है, उसके पीछे यही मंशा रहती है कि काफी दिन से एक ही जगह जमे अफसरों व कर्मियों को दूसरे जगह स्थानांतरित किया जाये,अधिक अफसरों व कर्मियों वाले मंडलों व जिलों से हटाकर कुछ को अभाव वाले जनपदों में एडजस्ट किया जाये ताकि सरकार और शासन के मंशानुरूप कार्य हो सके। मगर यहां पर अबकी परिवहन विभाग उल्टी चाल चलता दिखायी दे रहा। तबादला नीति खत्म हुए 10 दिन बीत गये, मगर अभी तक प्रवर्तन से जुड़े कई अधिकारी हैं जोकि आज भी अपनी पुराने स्थानों पर ही जमे हुए हैं, तो ऐसे में जो विभागीय स्तर पर सड़क सुरक्षा पखवाड़ा मनाया जा रहा है, उसका उद्देश्य कैसे पूरा होगा।
 
मसलन, एआरटीओ प्रशासन वाराणसी का तबादला प्रयागराज प्रवर्तन एआरटीओ को हो गया, मगर अभी तक नहीं ज्वाइन किया, नंद कुमार का सुल्तानपुर से बुलंदशहर हो गया अभी तक नहीं पहुंचे, प्रयागराज से अलका शुल्का का तबादला सुल्तानपुर हो गया, लेकिन अभी तक नहीं ज्वाइन किया, एआरटीओ प्रवर्तन अयोध्या प्रवीण सिंह का तबादला अमेठी हुआ, पर अभी तक नहीं ज्वाइन किये, बलरामपुर के एआरटीओ का तबादला एआरटीओ प्रवर्तन पद पर रायबरेली हो गया है, मगर अभी तक नहीं ज्वाइन किया...ऐसे तमाम उदाहरण हैं जो यही दर्शाते हैं कि उपरोक्त अफसर कहीं न कहीं शासनादेश से ऊपर हैं जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि ट्रांसफर होने के बाद संबंधित अधिकारी व कर्मी तत्काल प्रभाव से नई तैनाती पर पहुंचे।
 
वहीं विभागीय जानकारों की माने तो दरअसल, प्रवर्तन कार्य किसी भी जनपद में बड़ा तकनीकी स्तर का होता है, ऐसे में तबादले के बाद जो भी नया अफसर वहां आता है तो पहले से तैनात पुराना अधिकारी उसे अपने विभागीय टैबलेट की आईडी और लॉगइन शेयर करता है, उसे गाड़ी अलॉट होती है और प्रवर्तन सिपाही भी दिये जाते हैं...मगर जब किन्हीं कारणों से तबादले के बाद भी अफसर अपने नये स्थान पर आने में देरी करता है तो निश्चित तौर पर प्रवर्तन कार्य प्रभावित होता है।
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