दुग्ध उत्पादन में सकीना डेयरी फार्म बना आदर्श
तुंगल क्षेत्र की युवा उद्यमी के ज़ज्बे ने लिखी सफलता की नई इबारत
मंडी। "अगर जज़्बा सच्चा हो, तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती"। इस बात को साकार कर दिखाया है मंडी जिला के कोटली उपमंडल के कून गांव की सकीना ठाकुर ने। इतिहास की छात्रा रही सकीना ने मॉडलिंग, जिम और सरकारी नौकरी के सपनों को पीछे छोड़, डेयरी क्षेत्र को चुना और कुछ ही महीनों में 'सकीना डेयरी फार्म' को एक सफल और प्रेरणादायक उद्यम में बदल दिया।
शुरुआत मुश्किल, मगर हौसले बुलंद
साधारण परिवार में जन्मी सकीना बचपन से ही उद्यमिता की सोच रखती थीं। मंडी कॉलेज से इतिहास में एम.ए. करने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की एक परियोजना में काम किया और वहीं से मिली सीमित बचत को अपने डेयरी सपने में झोंक दिया। ग्रामीण माहौल में एक शिक्षित लड़की के लिए यह राह आसान नहीं थी। समाज के तानों, परिवार के दबाव और आर्थिक सीमाओं के बीच सकीना ने न केवल टिके रहना सीखा, बल्कि खुद को साबित भी किया।
'सकीना डेयरी फार्म' की नींव और विस्तार
जुलाई 2024 में मात्र सवा लाख की बचत और दो लाख के बैंक ऋण से शुरू हुए फार्म में सकीना ने बठिंडा से होल्सटीन फ्रिजियन (एचएफ) नस्ल की गाएं खरीदीं। आज उनके फार्म में 14 गायें हैं, जो प्रतिदिन लगभग 112 लीटर दूध दे रही हैं। फार्म में आधुनिक शेड, मिल्किंग मशीन, चारा कटर और गोबर खाद से संपूर्ण संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।
सोच से सहयोग तक: बना सहकारिता का केंद्र
नवंबर 2024 में गांव में “द कून महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति” की स्थापना हुई। इसके बाद हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ की ओर से बल्क मिल्क कूलर, एनालाइज़र और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गए। आज सकीना समिति की प्रमुख सदस्य हैं और आसपास के 70 से अधिक परिवार इससे जुड़े हैं। समिति की मासिक आय दो लाख रुपए तक पहुंच चुकी है, जबकि सकीना व्यक्तिगत रूप से लगभग सवा लाख रुपए प्रतिमाह कमा रही हैं।
मुख्यमंत्री को कहा धन्यवाद
राज्य सरकार द्वारा दूध के दाम बढ़ाने की पहल को सकीना ने एक बड़ा संबल बताया। उन्हें फिलहाल 41-44 रुपए प्रति लीटर की दर से भुगतान हो रहा है और इस वर्ष दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 51 रुपए करने के लिए सकीना ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार भी जताया।
समाज के लिए बनी प्रेरणा
ग्राम पंचायत उपप्रधान विजय कुमार कहते हैं, “सकीना ठाकुर ने यह साबित किया है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। यह युवाओं और खासकर महिलाओं के लिए एक उदाहरण है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो हर बाधा पार की जा सकती है।”
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