पूर्व राजा के समर्थन में उमड़े जनसैलाब से नेपाल की राजनीति में उबाल

प्रमुख राजनीतिक दलों ने राजा को दी नसीहत

पूर्व राजा के समर्थन में उमड़े जनसैलाब से नेपाल की राजनीति में उबाल

काठमांडू। काठमांडू में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के समर्थन में उमड़े जनसैलाब के बाद नेपाली राजनीति में हलचल देखी जा रही है। नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दल के नेताओं ने पूर्व राजा का विरोध करते हुए उन्हें अपने दायरे में रहने, लोकतंत्र के खिलाफ काम नहीं करने और जनता को उकसाने का काम नहीं करने की नसीहत दी है। रविवार को काठमांडू हवाईअड्डा से लेकर उनके निवास तक लाखों की संख्या में लोग सड़क पर आकर पूर्व राजा के पक्ष में की गई नारेबाजी से प्रमुख दल के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नेपाली कांग्रेस के नेता तथा गृहमंत्री रमेश लेखक ने चेतावनी देते हुए पूर्व राजा को अपने दायरे में रहने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि यदि पूर्व राजा इस समय की व्यवस्था को नहीं मानेंगे तो उन्हें राज्य की तरफ से दी जा रही सुरक्षा और अन्य सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी। गृहमंत्री ने यह भी कहा कि पूर्व राजा की गतिविधियां संविधान और कानून के विपरीत हैं। इस तरह की गतिविधियों के कारण उन्हें कानून के दायरे में भी लाया सकता है।

पूर्व राजा के पक्ष में लोगों में बढ़ते आकर्षण से सत्तारूढ़ दल नेकपा एमाले पार्टी ने भी नाराजगी व्यक्त की है। पार्टी के महासचिव शंकर पोखरेल ने कहा कि यदि पूर्व राजा को सत्ता में वापसी करनी है तो उन्हें राजनीति में आने की खुली छूट है। लेकिन इस तरह से समाज में अस्थिरता फैलाकर सत्ता पर पुनः बैठने का सपना त्यागने का सुझाव देते हुए अपना दल बनाने की चुनौती दी है। पोखरेल ने कहा कि इस संविधान में राजसंस्था के लिए कोई स्थान नहीं है। यदि पूर्व राजा को देश में राजसंस्था की पुनर्बहाली करनी है तो उन्हें राजनीति में आकर चुनाव लड़ना चाहिए और दो-तिहाई बहुमत लाकर अपने हिसाब से संविधान के बदलाव कर सकते हैं। एमाले महासचिव ने भी पूर्व राजा को अपनी गतिविधियों नहीं रोकने पर गंभीर परिणाम की चेतावनी दी है।

सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष में रहे माओवादियों की तरफ से भी पूर्व राजा के खिलाफ बयान जारी किया गया है। माओवादी के प्रवक्ता पंगा भुसाल ने अपने बयान में कहा है कि पूर्व राजा की गतिविधियों से अब तक प्राप्त उपलब्धियां खतरे में आने का संकेत है। जिस राजतंत्र को जड़ से खत्म करने के लिए माओवादी को दस वर्षों तक जनयुद्ध करना पड़ा, हजारों लोगों को बलिदान देना पड़ा, उस राजतंत्र के फिर से सक्रिय होने के कारण देश का गणतंत्र खतरा में आ गया है। माओवादी ने तत्काल सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर पूर्व राजा के खिलाफ कार्यवाही के बारे में सोचने की मांग की गई है। इसी तरह जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने भी संविधान, गणतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए पूर्व राजा को कानूनी दायरे में लाने की मांग की है। उपेन्द्र यादव ने कहा कि देश के संविधान से ऊपर कोई नहीं होता है और पूर्व राजा की गतिविधियां संविधान के खिलाफ में हैं। उन्होंने कहा कि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में संविधान खतरा में पड़ सकता है।

 

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